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बिरसा मुंडा की जयंती श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई
शिलचर असम विश्वविद्यालय शिलचर में 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती गरिमामय और उत्साहपूर्ण माहौल में मनाई गई। सुबह से ही परिसर में श्रद्धा और सम्मान का वातावरण दिखाई दे रहा था। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसके बाद उपस्थित अतिथियों, शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमूर्ति पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
समारोह में असम विश्वविद्यालय के कुलपति मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा केवल एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की अस्मिता और स्वाभिमान के प्रतीक हैं। कुलपति ने बताया कि मात्र 25 साल की उम्र में उन्होंने अत्याचार और अन्याय के खिलाफ जो संघर्ष किया, वह भारतीय इतिहास में अद्वितीय और प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को उनके जीवन से अनुशासन, साहस और समाज के प्रति जिम्मेदारी की सीख लेनी चाहिए।कार्यक्रम में आउटर कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर मृत्युंजय सिंह ने कहा कि बिरसा मुंडा ने संघर्ष की जो ज्योति जलाई थी, वह आज भी सामाजिक आंदोलन और अधिकारों की लड़ाई को ऊर्जा देती है। असम विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष पृथ्वीराज वाला ने उन्हें एक जननायक बताते हुए कहा कि उनकी सोच आज भी जनजातीय समुदाय को नई दिशा देती है।प्रथम विश्वविद्यालय छात्र परिषद के अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि बिरसा मुंडा की जयंती मनाना महज औपचारिकता नहीं, बल्कि उनके आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प है। उन्होंने छात्रों से समाज के प्रति संवेदनशील रहकर आगे बढ़ने की अपील की।कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने भगवान बिरसा मुंडा को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। समारोह सम्मान, गरिमा और प्रेरणा के साथ सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।





















