फॉलो करें

जैन संत शीतल मुनि 52 वर्षों से लेटे नहीं, बैठकर ही लेते हैं नींद, हफ्ते में 2 पूर्ण मौन व उपवास, धूप में घंटों तपस्या

80 Views
समाचार एजेंसी, रायपुर 30 अगस्त:  जैन संत शीतल मुनि पिछले 52 वर्षों से एक बार भी लेटे नहीं हैं। वे रात में बैठकर चार से छह घंटे की ही नींद लेते हैं। रायपुर में चातुर्मास करने आए जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी संप्रदाय के शीतल मुनि ने जीवनभर के लिए आड़ा आसन यानी शयन मुद्रा में आने कात्याग लिया है।
1948 में जोधपुर में जन्मे शीतल मुनि ने 1970 में यानी 22 साल की उम्र में गुरु हस्तीमन से जैन दीक्षा स्वीकार की थी। दीक्षा के 2 साल बाद अपने गुरु आचार्य जयमल की जीवनी पढ़ते हुए उन्हें कठोर तपस्या की प्रेरणा मिली। इसके बाद से उन्होंने लेटने का त्याग कर दिया। उन्होंने छह माह तक प्रवचन, आहार एवं नित्य कर्म के अतिरिक्त निरंतर खड़े रहने की साधना भी की है। 76 वर्ष के शीतल मुनि हफ्ते में दो दिन पूर्ण रूप से मौन रहते हैं और हर दिन इच्छाशक्ति से सब संभव, भविष्य के लिए पर्यावरण बचाएं शीतल मुनि ने बातचीत के दौरान बताया कि लेटकर सोने से आराम की नींद आती है और बैठकर या खड़े होकर सोने से कम आराम की नींद आती है। इससे अधिक इस तपस्या में मुझे कोई कठिनाई महसूस नहीं होती है। अगर व्यक्ति में दृढ़इच्छा शक्ति हो तो कोई भी साधना असंभव नहीं होती है। शीतल मुनि कहते हैं कि जैन मुनि की चर्या पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता है। जिस तरह से नई तकनीक के नाम पर पर्यावरण को हानि पहुंचाई जा रही है, इससे भविष्य में संकट आना तय है।
पांच घंटे मौन रहते हैं। उन्होंने 101 दिन, 61 दिन, 54 दिन, 44 दिन, 26 दिन की अखंड मौन साधना भी की है। जैन संत शीतल मुनि प्रतिदिन दोपहर 12 से 2 बजे तक धूप में आतपना लेते हैं। धूप में साधना करने का यह क्रम गर्मियों में भी निरंतर चलता है। ठंडी के दिनों में जैन संत वस्त्र के अतिरिक्त केवल एक पतली चादर में ही गुजारा करते हैं। चार से पांच घंटे की नींद के अतिरिक्त दिन में 10 से 12 घंटे स्वाध्याय, ध्यान और अध्ययन में बीतता हैं।

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल