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सिविल सेवा मातृभूमि की सेवा करने का एक पवित्र मार्ग है : राज्यपाल

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‘राज्यपाल असम की प्रतिभा प्रोत्साहन योजना’ के परामर्श सत्र में शामिल हुए राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य

गुवाहाटी, 10 नवंबर । असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने कहा कि सिविल सेवा मातृभूमि की सेवा करने का एक पवित्र मार्ग है और सिविल सेवक सरकार और जनता के बीच एक मजबूत सेतु हैं जो कल्याणकारी राष्ट्र की इमारत को मजबूत करने के लिए सरकार की नीतियों और योजनाओं के कार्यान्वयन में मदद करते हैं।

राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने ये बातें रविवार को यहां कृष्णकांत हैंडिक राज्य मुक्त विश्वविद्यालय के सभागार में ‘राज्यपाल असम की प्रतिभा प्रोत्साहन योजना’ के तहत असम के सिविल सेवा परीक्षा के लिए चयनित उम्मीदवारों के लिए परामर्श और तैयारी मार्गदर्शन सत्र में भाग लेने के दौरान कही।

राज्यपाल ने सत्र में हिस्सा लेने से पूर्व कृष्णकांत हैंडिक की 12 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया और पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत केकेएचएसओयू के परिसर में एक पौधा भी लगाया। यह प्रतिमा विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय स्टेट बैंक की सहायता से स्थापित की गई है।

राज्यपाल ने कहा कि जब हमारे युवा मातृभूमि की सेवा करने का सपना देखते हैं, तो बदले में हमें भी उन्हें अपने सपने को साकार करने का अवसर प्रदान करने की जिम्मेदारी महसूस करनी चाहिए। राज्यपाल असम की प्रतिभा प्रोत्साहन योजना के माध्यम से, हम न केवल असम के युवाओं को उच्च गुणवत्ता वाली कोचिंग प्रदान कर रहे हैं, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा रहे हैं और उन्हें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

राज्यपाल ने कहा कि कार्यक्रम के तहत युवाओं की प्रतिभा को निखारने, उनके और राज्य के भविष्य को आकार देने और इच्छुक उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करके सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में उचित मार्गदर्शन सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह कार्यक्रम 2047 तक विकसित भारत की नींव को मजबूत करने में सहायक होगा। राज्यपाल आचार्य ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने अंदर “राष्ट्र प्रथम” की भावना बनाए रखें। राज्यपाल ने कहा कि जब किसी देश के युवा “राष्ट्र प्रथम” की सोच के साथ आगे बढ़ते हैं, तो दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें मातृभूमि के लिए अपनी सेवाएं देने से नहीं रोक सकती। राज्यपाल ने कहा, “साथ ही, हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता और अपने मूल्यों को संरक्षित और पोषित करना चाहिए। हमें अपने अतीत के गौरव को पुनर्जीवित करने, अपनी विरासत को समृद्ध करने और अपनी शिक्षा और प्रौद्योगिकी को आधुनिक बनाने के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए।”

राज्यपाल ने विद्यार्थियों में मूल्यों और चरित्र निर्माण को बढ़ावा देने तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को सशक्त बनाने में उनकी भूमिका के लिए अधिकारियों, शिक्षकों और कोचिंग संस्थानों को बधाई दी। राज्यपाल ने कहा कि यह पहल राज्य के युवाओं को सफलता प्राप्त करने, राज्य और राष्ट्र के विकास में योगदान देने और प्रतिबद्धता और निष्ठा के साथ समर्पित सिविल सेवक बनने के लिए सशक्त बनाएगी। उन्होंने इच्छुक छात्रों से प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ गंभीरता से तैयारी करने को भी कहा। उन्होंने मार्गदर्शक सिम्मी करण (आईएएस), अरण्यक सैकिया (आईएएस), आदित्य विक्रम सिंह (आईएएस) और अमित महतो (आईपीएस) का आभार व्यक्त किया।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर राज्यपाल द्वारा असम की प्रतिभा प्रोत्साहन योजना की परिकल्पना की गई थी। इस कार्यक्रम के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट 20 अक्टूबर को गुवाहाटी, बंगाईगांव, जोरहाट और सिलचर में आयोजित किया गया था। यह कोचिंग नई दिल्ली (एनसीआर) स्थित साझेदार संगठनों और प्रतिष्ठित एजेंसियों, अर्थात् पवन चिंतन धारा आश्रम और आर्य प्रतिभा विकास संस्थान द्वारा प्रदान की जाएगी।

राज्यपाल के आयुक्त एवं सचिव एसएस मीनाक्षी सुंदरम, केकेएचएसओयू के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद दास, आर्य प्रतिभा विकास संस्थान के कार्यकारी निदेशक अनु वासुदेवा, समन्वयक प्रोजेक्ट यूपीएससी, पावन चिंतन धारा आश्रम सुरभि शर्मा, केकेएचएसओयू के रजिस्ट्रार प्रो. प्राणजीत बोरा सहित इस अवसर पर कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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