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अंतर्राष्ट्रीय तंबाकू विरोधी दिवस पर विशेष प्रस्तुति–

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प्रिय मित्रों ! अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित,विकासशील एवं पिछडे तीनों ही वर्ग के देशों में अपने दुष्परिणाम के कारण- “मीठे जहर”के नाम से कुख्यात -“तम्बाकू”भयानक सर-दर्द बनता जा रहा है, आज विश्व की लगभग २५%जनसंख्या किसी न किसी रूप में इस दुर्व्यसन की अनचाही शिकार बनती जा रही है।
कोरोना काल में इसके सेवनकर्ताओं को जिस कहर से दो-चार होना पडा !और तो और लोगों के फेफडों की जो दुर्दशा हुयी, और हो रही है ! इतिहास साक्षी है कि प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में जितने लोगों की मृत्यु हुयी होगी,महाभारत में जितने लोगों की मृत्यु हुयी होगी उससे कईयों गुना अधिक मृत्यु इस मीठे जहर तम्बाकू से हो चुकी होगी।और अब तो प्रतिवर्ष १४ लाख लोग इस दुर्व्यसन से अकाल मृत्यु के शिकार हो रहे हैं।
दुर्भाग्य शाली हैं हम सभी कि इस जहरीले पौधे की खेती हमारे देश में विश्व में इसके उत्पादक देशों में तृतीय स्थान रखती है,और भी आश्चर्यजनक यह सत्य है कि हमारे प्रधानमंत्री जी की जन्मभूमि गुजरात और उसमें भी जिस जिले महेसाणा से वो आते हैं वही जिला तम्बाकू उत्पाद के लिये कुख्यात है,अर्थात इस निबंध के द्वारा आदरणीय प्रधानमंत्री जी से अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू निषेध दिवस के उपलक्ष्य में मैं निवेदन करता हूँ कि आप इसकी खेती को तत्काल प्रभाव से -“गांजा,अफीम और कोक” की तरह प्रतिबन्धित करें।
मैं अपने किसान भाईयों से आग्रह करता हूँ कि आप अन्न-उत्पादन करो,हमें अन्न चाहिये ! हमें तम्बाकू नहीं चाहिये ! इस जहरीले पौधे से हमें मुक्ति चाहिये। बीडी, सिगरेट,गुटके के हर पैकट पर लिखा होता है कि -“वैधानिक चेतावनी” सभी राजनैतिक दल चुनाव घोषणा पत्र निकालते हैं,उसका यथासम्भव पालन भी करते हैं,कृपया तम्बाकू मुक्त भारत अथवा राज्य को चुनाव जितने के पश्चात घोषित करने का कोई तो आश्वासन दे ?
मित्रों ! ये भारतीय पौधा नहीं है ! जिस प्रकार कृषि प्रधान उर्वरक भारतीय भूमि को बंजर बनाने के घृणित उद्देश्य से अंग्रेजों ने यहाँ-“नील” की खेती कराई बिलकुल उसी प्रकार सन् १६०५ में कुख्यात पुर्तगाली लुटेरे “जेवियर्स” ने दक्षिणी अफ्रीका के जहरीले जंगलों से इस पौधे को लाकर -“मालाबार और गोवा” से इस मीठे जहर के उत्पादन करवाकर धीरे-धीरे हमारी पीढियों को इनका गुलाम बनाकर दर्दनाक मृत्यु के कगार पर खडा कर दिया।
आज हम भारतीय फेफडों,यकृत,आंतों,मुख और ह्रदय कैंसर से जूझ रहे हैं,पुरुषों में निर्बल शुक्राणु तथा स्त्रियों में गर्भावस्था में गंभीर समस्याओं का ये तम्बाकू कारक है,ह्रदय व्याधि,अनिद्रा
के साथ साथ मधुमेह का खतरा इससे कई गुना बढता जा रहा है, तनाव,आलस्य,स्वांस लेने में कष्ट,अस्थमा,खांसी,गले से सम्बन्धित व्याधियों के साथ-साथ राजयक्ष्मा और टीबी जैसा मृत्यु तुल्य जीवन देने में इस तम्बाकू का बहुत बडा योगदान है।
मित्रों ! सिगरेट और बीडी इतनी खतरनाक है कि इसके सेवन कर्ता को ये तकलीफ़ देती ही हैं किन्तु !!! इसके धुवें के कारण धूम्रपान कर्ता के आसपास रहने वाले लोगों अर्थात हमारी माँ, बाबा,बहनें,पत्नी और बिचारे छोटे-छोटे बच्चे इसके असमय शिकार हो जाते हैं जिनका कोई दोष भी नहीं है।
मैंने मुँह के कैंसर के पचीसों ऐसे बिचारों को देखा है जिन्होंने
गुटका,पान-मसाला,खैनी जैसी चीजें खाकर अपने आप को नारकीय कष्ट के साथ मृत्यु प्राप्त किया और साथ-साथ अपने परिवार को चिकित्सा के कारण ऐसे आर्थिक संकट में डाला कि उनके उबरने की क्षमता ही समाप्त हो गयी।
इस तम्बाकू के रेशे-रेशे में घुला -“निकोटिन” ऐसा जहर है जो धीरे-धीरे इसके सेवनकर्ताओं को अपना गुलाम बना लेता है,मैं स्वयं ही इसका भुक्तभोगी रहा हूँ ! बाल्यावस्था में ही आठ वर्ष की अवस्था में स्वजनों द्वारा घर से निष्कासित किये जाने के बाद मुझ अनाथ ने सडकों पर रहने,पेट भरने के लिये छोटे से छोटे काम करने के कारण बिगडे हुवे लोगों की संगति में रहने से नौ-दस वर्ष की अवस्था से ही बीडी-सिगरेट आदि-आदि सभी दुर्व्यसनों की ऐसी लत लगी कि जिसके कारण मैं अपनेआप में सदैव ही अपराध बोध से व्यथित और बीमार होता जा रहा था, मुझे अनेक चिकित्सकों ने कहा था कि आपके फेफडों की स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है ! और अचानक तीन वर्ष पूर्व मैंने इसे छोड़ दिया ,और आज मैं बिलकुल स्वस्थ हूँ, ईश्वरीय कृपा से मेरे फेफड़े जो बहुत ही खराब थे अब १००%ठीक हो चुके हैं ।
आइये मेरे साथ इस अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू निषेध दिवस पर हम सभी प्रतिज्ञा करते हैं कि इस मीठे जहर के कहर से कम से कम दस लोगों को जागृत कर अपने समाज को तम्बाकू मुक्त बनायेंगे–“आनंद शास्त्री”

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