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अंतर्राष्ट्रीय शब्द सृजन महिला प्रकोष्ठ ने राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित कमानडेंड यशपाल सिंह चौहान का किया सम्मान।

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जब देश में अमृत महोत्सव की धूम मच रही हो, हर संस्था अपने देश के गौरवमई इतिहास का गुणगान कर रही हो ,ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय शब्द सुजन महिला प्रकोष्ठ ने भी कमांडेंट यशपाल सिंह चौहान को सम्मानित कर एक और अध्याय जोड़ने का काम किया है।

रविवार की शाम देश के सेनानियों और साहित्य के नाम रहा।
अंतर्राष्ट्रीय शब्द सृजन महिला प्रकोष्ठ के द्वारा दिल्ली के आर के पुरम स्थिति डी ए वी पब्लिक स्कूल आर्य समाज मन्दिर में काव्य साहित्यिक अनुष्ठान में राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित कमांडेंट यशपाल सिंह चौहान जी का सम्मान किया गया।
अध्यक्षता-डॉ सविता चड्ढा, मुख्य अतिथि-श्रीमती रेणु हुसैन(भाजपा नेता शहबाज हुसैन की अर्धांगिनी),संयोजन महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष कुसुमलता ‘कुसुम’, संचालन कोषाध्यक्ष अनुपमा पाण्डेय ‘भारतीय’, सम्मानित व्यक्तित्व यशपाल सिंह चौहान राष्ट्रपति पदक विजेता, सानिध्य महासचिव ओंकार त्रिपाठी, एन सी आर के नामचीन महिला कवियत्री एव कविगण रहे।
संस्था के संस्थापक डॉ राजीव पांडे जी ने सभी अतिथियों का स्वागत अपने उद्बोधन से किया। महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्षा कुसुम लता कुसुम जीने सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । इसी दौरान महिला प्रकोष्ठ की प्रभारी अनुपमा पांडेय भारतीय एवं अध्यक्षा कुसुमलता कुसुम जी ने कमांडेंट यशपाल जी को पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया। संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर पांडे जी ने सभी अतिथियों को अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया तदोपरांत कार्यक्रम का बखूबी संचालन अनुपमा पांडे भारतीय जी ने किया।
सर्व प्रथम मुख्य अतिथि श्रीमती रेनू हुसैन जी ने अपने गजल, माहिए और अपने स्नेहिल व्यक्तित्व से महफिल में ऊर्जा का संचार कर सभी का दिल जीत लिया।
एन सी आर और दिल्ली की कवयित्रियों एवम् कवियों केअप्रतिम काव्यपाठ, व्यवस्थित कार्यक्रम,कविता के सागर में चार घण्टे डुबकियां, सर्दियों में तालियां से गर्माहट का एहसास दिलाता रहा।
एक से एक बेहतरीन रचनाएं जो देश प्रेम और नारी सशक्तिकरण पर केंद्रित रही, सुनने को मिली।
रेणु हुसैन जी के महिए ,प्रीति त्रिपाठी जी के गीत,मंजू मन जी की अभिव्यक्ति ने विशेष तालियां बटोरीं।
महासचिव ओंकार त्रिपाठी जी के गीत
“तन के टुकड़े टुकड़े हो जाएं पर मान नहीं बेचेंगे।
खाते हैं सौगंध राम की हिंदुस्तान नहीं बेचेंगे..” ने 6डिग्री तापमान की काव्य संध्या में उबाल ला दिया। वहीं कुसुम लता कुसुम जी ने अपने सुमधुर कंठ से “मां” पर अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दे कर सभी को भावुक कर दिया।काव्य के विविध रंगों से सजी काव्य संध्या में अनुपमा पांडेय भारतीय जी ने नारी स्वाभिमान की बेहतरीन पंक्तियां पढ़ कर विशेष वाह वाही लूटी – “मैं ‘नहीं’ नीर भरी दुःख की बदरी,
मैं तो हूं जीवन सृजनी, हां मैं जननी हूं, हां मैं नारी हूं,पर मैं आज की नारी हूं,मैं आज की नारी हूं।”
कार्यक्रम के केंद्रबिंदु कमांडेंड यशपाल सिंह चौहान जी ने अपना जोशीला और कर्तव्यनिष्ठ उद्बोधन दिया साथ हीं दिवंगत सीडीएस रावत एवम् सभी वीर सेनानियों को अपनी श्रद्धांजलि दी।हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए पायलट अपने चचेरे भाई विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान जी को याद कर मर्महित भी हुए,।उनके लिए भजन गाकर प्रभु से स्तवन किया तथा सभी को अपने देश के प्रति सजग और जागरूक रहने का संदेश दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षा ख्यातिलब्ध साहित्यकार श्रीमती सविता चड्डा जी ने सभी के साथ अपने साहित्यिक जीवन के अनुभव साझा किए,तथा साहित्य को अपने अंदर कैसे आत्मसात करें इसका गुर सिखाया।उनकी सारगर्भित पंक्तियां “वो जब चाहेगा ,तुझे आसमां दे देगा..” ने सभी को अभिभूत कर दिया।
कार्यक्रम का समापन संस्था के अध्यक्ष डॉ राजीव पाण्डेय जी सभी का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए किया साथ महिला मंच को अपने गीत
“मैं दिये की रोशनी हूँ, आंधियों से कब डरी हूँ।
भोर किरणों तक जली हूँ, आस पर उतरी खरी हूँ..से साधुवाद दिया।
इस अविस्मरणीय शाम के साक्षी सरस्वती पाण्डेय, अंजना शर्मा, चंचल हरेन्द्र वशिष्ठ, विनय पंवार, डॉ कुसुम आचार्य, रजनीश स्वछंद, देवेंद्र शर्मा देव, प्रीति त्रिपाठी, श्यामा भारद्वाज, कुमार रोहित रोज, तरुणा पुंडीर,इन्दु किरण मिश्रा,विजयलक्ष्मी शुक्ला, मंजू शर्मा मन,देव शास्त्री,संगीता शर्मा,डॉ अशोक मयंक आदि रहे।

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