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सिलचर में साध्वी संगीतश्री जी के नमस्कार महामन्त्र के मंगलाचरण के साथ अक्षय तृतीया कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।कार्यक्रम का संचालन करते हुए तोलाराम गुलगुलिया ने बताया कि हम परम् सौभाग्यशाली है कि बराक वैली कि धरा सिलचर के इतिहास में यह प्रथम सुअवसर है कि अक्षय तृतीया पर्व पर चार चार चारित्रात्माओ के वर्षीतप के पारणे का सौभाग्य सिलचर वासियो को मिला है।साध्वी संगीतश्री जी व साध्वी शान्ति प्रभा जी के चौथा वर्षीतप तथा साध्वी कमल विभाजी व मुदिता श्रीजी के प्रथम वर्षीतप है।चारों साध्वियों के वर्षीतप के उपलक्ष्य में गुरुदेव ने महत्ती कृपा करतें हुए मौखिक मंगल कामना प्रेषित करवाई,मातृहृदया साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा जी ने महत्ती कृपा करते हुए लिखित मंगल सन्देश प्रेषित करवाया जिसका वाचन सभा उपाध्यक्ष श्री प्रदीपजी सुराणा द्वारा किया गया।चेन्नई में विराजित साध्वी अणिमा श्री जी,गुवाहाटी में विराजित समणी विनीत प्रज्ञाजी व जगत प्रज्ञाजी ने गीतिका के द्वारा वर्षीतप की अनुमोदना की।चारित्रात्माओ के अलावा एक बहिन विमला देवी रांका के भी वर्षीतप का पारणा था। आप साध्वी करुणा प्रभाजी के संसारपक्षीय माँ तथा साध्वी जिन बालाजी के संसारपक्षीय नंनद बाई है।
श्री रतनलाल जी मरोठी, श्री महावीर प्रसादजी जैन,श्री देवचंद जी बैद,श्री मूलचंद जी बैद,श्रीमती प्रेम सुराणा व श्री मूलचन्द सांड आदि वक्ताओं ने अक्षय तृतीया पर्व का महत्व बताते हुए सभी तपस्वियों की तप अनुमोदना की। तेरापंथ महिला मण्डल व पप्पु द्वारा गीतिका का संगान किया गया। चारों साध्वीश्री जी ने अक्षय तृतीया के महत्व का विवेचन करते हुए फरमाया की यह जैनो का ऐतिहासिक पर्व है इसका सम्बन्ध भगवान आदिनाथ से है।इस दिन एक वर्ष चालीस दिन की तपस्या के पश्चात भगवान का पारणा उनके प्रपोत्र श्रेयांस कुमार से इक्षुरस के द्वारा हुवा था। आगे आपने प्रेरणा देते हुए कहा कि वर्षीतप दृढ संकल्प व वैराग्य भावना से किया जा सकता है।विमला बाई रांका ने स्वास्थ्य अनुकूल रहने पर दूसरा वर्षीतप करने की भावना प्रकट की।
तेरापंथ सभा द्वारा विमला बाई को तप अभिनन्दन पत्र भेंट किया गया जिसका वाचन श्री जेठमलजी मरोटी द्वारा किया गया। सरकारी व प्रशासनिक प्रतिबन्धों के कारण कार्यक्रम सीमित व्यक्तियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया।