दिल्ली:-अग्निपथ योजना को लेकर कांग्रेस नेता और सांसद मनीष तिवारी के रुख ने कांग्रेस की किरकिरी करा दी है. बताया जा रहा है कि अग्निपथ योजना की सराहना कर चुके रक्षा संबंधी संसदीय परामर्श समिति के सदस्य सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को छह विपक्षी सांसदों के उस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए, जिसमें अग्निपथ योजना को वापस लेने की मांग की गई है.
जानकारी के अनुसार संसद के मानसून सत्र से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को रक्षा संबंधी संसदीय परामशज़् समिति के सदस्यों को सैन्य भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना के बारे में एक प्रस्तुति दी, लेकिन छह विपक्षी सांसदों ने इस योजना को तत्काल वापस लेने की मांग की. जिन सांसदों ने इस हस्तलिखित बयान पर हस्ताक्षर किये, उनमें शक्ति सिह गोहिल, रजनी पाटिल (कांग्रेस), सुप्रिया सुले (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी), सौगत राय एवं सुदीप बंदोपाध्याय (तृणमूल कांग्रेस) और राष्ट्रीय जनता दल के एडी सिंह शामिल हैं.
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया. गौरतलब है कि मनीष तिवारी सार्वजनिक तौर पर अग्निपथ योजना की सराहना कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि यह जरूरी सुधार है क्योंकि दुनिया के अन्य देशों के सशस्त्र बलों ने ऐसी योजना पेश की है. वहीं कांग्रेस ने अग्निपथ भर्ती योजना का विरोध किया है.
सूत्रों ने कहा कि तिवारी ने बैठक में सवाल किया कि क्या यह योजना किसी भी तरह से पेंशन विधेयक को प्रभावित करती है. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या इससे सशस्त्र बलों की तैयारियां प्रभावित होती हैं. सूत्रों के अनुसार थलसेना प्रमुख ने उनके सवालों का जवाब देते हुए कहा कि किसी भी स्तर पर परिचालन तैयारियों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
बताया जा रहा है कि मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि रक्षा संबंधी विभिन्न स्थायी समितियों के साथ-साथ करगिल समीक्षा समिति सहित अन्य पैनल ने इस तरह के कदमों की सिफारिश की है तथा सशस्त्र बलों के आकार को कम करने के संबंध में विभिन्न अध्ययन भी किए गए हैं. तिवारी कांग्रेस के ङ्कजी२३द्घ समूह के सदस्य रहे हैं जिसने पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी. उन्होंने पार्टी नेतृत्व के कुछ फैसलों की आलोचना भी की है. तिवारी पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं और अभी पंजाब में आनंदपुर साहिब से लोकसभा सदस्य हैं.