नई दिल्ली. इस बार का स्वतंत्रता दिवस कई मायने में खास रहने वाला है. 15 अगस्त को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे तो पहली बार स्वदेशी तोप से 21 तोपों की सलामी दी जाएगी. इस बार स्वदेशी 105 mm इंडियन फील्ड गन राष्ट्रगान के 52 सेकेंड तक 21 राउंड फायर करेगी. पिछले साल आखिरी बार ब्रिटिश 25 पाउंडर गन ने लाल किले पर झंडारोहण के दौरान सलामी दी थी. जिसमें उसने 20 राउंड फायर किए थे, जबकि एक राउंड फायर स्वदेशी तोप 155 mm ATAGS ने किया था.
इसी साल गणतंत्र दिवस से झंडारोहण के दौरान दी जाने वाली 21 तोपों की सलामी को पुरानी ब्रिटिश 25 पाउडर गन की जगह स्वदेशी 105 mm इंडियन फील्ड गन से दिए जाने का चलन शुरू किया गया था. अब उसी तर्ज पर लाल किले से झंडारोहण के वक्त स्वदेशी तोप से ही सलामी दी जाने की परम्परा शुरू की जा रही है. इस तरह देखा जाए तो इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर स्वदेशी तोप की ही धमक सुनाई देगी. भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है और ग़ुलामी की यादों को भी पीछे छोड़ रहा है.
ब्रिटिश 25 पाउंडर गन को पाकिस्तान के खिलाफ 1948, 1965 और 1971 की जंग में जबरदस्त तरीके से इस्तेमाल किया गया था. चीन के खिलाफ 1962 की जंग में भी ये तोप अहम किरदार निभा चुकी है. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी इस तोप ने कई देशों में जबरदस्त ढंग से मोर्चा संभाला था. 90 के दशक की शुरुआत में ही इस तोप को सेना से रिटायर किया जाने लगा और इसकी जगह स्वदेशी 105 mm इंडियन फील्ड गन ने ली.
इस तोप का 25 पाउंडर नाम उसके गोले के वजन की वजह से पड़ा. यानी इस 88 mm कैलिबर की तोप से जो गोला दागा जाता है, उसका वजन 25 पाउंड होता है. भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देकर रिटायर होने के बाद 25 पाउंडर गन की एक यूनिट को समारोहों के वक्त इस्तेमाल की जाने वाली तोप के तौर रखा गया है. ये तोप गणतंत्र दिवस, 15 अगस्त के अलावा दूसरे देशों के प्रमुखों के भारत दौरे के दौरान उनके सम्मान में सलामी देने के लिए इस्तेमाल की जाती है.