काठीघोड़ा | 21 जुलाई-बराक घाटी का प्रवेशद्वार माने जाने वाले काठीघोड़ा क्षेत्र के दिगरखाल, कालाइनछड़ा टी एस्टेट और इसके आसपास के कई गांव आज भी विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर हैं। आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी इन क्षेत्रों तक बुनियादी सुविधाएं पूरी तरह नहीं पहुँच पाई हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि हर चुनाव से पहले उन्हें विकास के सपने दिखाए जाते हैं, कई योजनाओं की घोषणाएं और शिलान्यास होते हैं, लेकिन ज़्यादातर योजनाएं कागज़ों तक ही सीमित रह जाती हैं और ज़मीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं आता।
ग्रामीण आज भी शुद्ध पेयजल, समुचित स्वास्थ्य सेवा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अच्छी सड़कों जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित हैं। इसके साथ ही, स्थायी रोज़गार के अभाव में अधिकांश लोग पलायन करने या दिहाड़ी पर निर्भर रहने को मजबूर हैं।
एक बड़ी समस्या है इलाके में पुलिस चौकी का न होना। वर्षों से मांग के बावजूद आज तक यहाँ एक भी पुलिस आउटपोस्ट की स्थापना नहीं हो पाई, जिससे अपराधों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। वहीं क्रेगपार्क और कालाइनछड़ा को जोड़ने वाला एकमात्र झूलता पुल वर्षों पहले टूट गया, लेकिन आज तक उसकी मरम्मत या पुनर्निर्माण नहीं हुआ।
ग्रामीणों के अनुसार, क्षेत्रीय विधायक और प्रशासन से कई बार शिकायत और निवेदन किए जाने के बावजूद कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। अधिकांश ग्रामीण सड़कों की हालत इतनी खराब है कि बारिश के दिनों में वहां से पैदल निकलना भी मुश्किल हो जाता है।
पेयजल योजनाएं तो शुरू हुईं, लेकिन पाइप में पानी नहीं आता। अस्पताल हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं। स्कूल हैं, पर गुणवत्ता की शिक्षा नहीं।
थक-हार कर अब इलाके के लोगों ने ‘जनकल्याण संस्था’ नामक एक स्वैच्छिक संगठन के माध्यम से असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा को एक ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से सिर्फ पांच मिनट का समय मांगते हुए निवेदन किया है कि वह खुद एक बार इन इलाकों का दौरा करें और लोगों की समस्याएं प्रत्यक्ष रूप से सुनें।
स्थानीय लोगों की यही मांग है कि सरकार व प्रशासन अब केवल घोषणाएं न करे, बल्कि ठोस कदम उठाकर दिगरखाल, कालाइनछड़ा और आसपास के गांवों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाए।




















