बरखोला, असम – सरकार की बहुचर्चित अरुणोदय योजना की हालिया लाभार्थी सूची को लेकर बरखला क्षेत्र में जबरदस्त असंतोष और आक्रोश फैल गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस सूची में सरकारी नियमों की अनदेखी कर आर्थिक रूप से संपन्न और प्रभावशाली लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जबकि असली जरूरतमंद—जैसे विधवाएं, गरीब और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति—सूची से बाहर कर दिए गए हैं।
चान्दपुर गांव पंचायत के 95 नंबर बूथ के कई निवासियों—सलिमा बेगम, जासमिन बेगम, मुस्लिम उद्दीन और आसिकुर रहमान—ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सूची में कई ऐसे लोगों के नाम हैं, जो न केवल संपन्न हैं, बल्कि एक ही परिवार के कई सदस्य भी लाभार्थियों में शामिल हैं। यह दर्शाता है कि चयन प्रक्रिया में भारी अनियमितता हुई है।
स्थानीय निवासियों ने राजनीतिक पक्षपात और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए हैं। उनका दावा है कि भाजपा के कुछ बूथ स्तरीय नेताओं ने पैसे लेकर लोगों के नाम शामिल करवाए, जबकि जिन्होंने पैसे नहीं दिए, उनके नाम सूची से हटा दिए गए—even if they genuinely qualified.
सबसे मार्मिक दृश्य उस समय सामने आया, जब मनिर उद्दीन नामक एक शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति अपनी दो मूक-बधिर बेटियों को लेकर पत्रकारों के सामने फूट-फूट कर रो पड़ा। उसने इशारों में बताया कि उनके जैसे कई असली लाभार्थियों को योजना से वंचित कर दिया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व शर्मा से अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप कर न्याय सुनिश्चित करें।
स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार से मांग की जा रही है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और असली जरूरतमंदों को योजना का लाभ दिया जाए।
नोट: अरुणोदय योजना असम सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों, विशेष रूप से महिलाओं, विधवाओं और विकलांगों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यदि इसमें भ्रष्टाचार होता है, तो यह पूरे कल्याणकारी तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है।
हमारी अपील: सरकार और प्रशासन से निवेदन है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।





















