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अविस्मरणीय रहेगी महारानी अहिल्याबाई की प्रजावत्सलता : डॉ रश्मि प्रियदर्शनी

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विष्णुपद मंदिर की निर्मात्री को ओजस्विनी ने दी भावांजलि
गया, 30 मई। मोक्षधाम गया स्थित विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर का जीर्णोद्धार करने वाली इंदौर की महारानी माता अहिल्याबाई होल्कर की 31 मई को मनायी जा रही 299वीं जयंती पर अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद की महिला शाखा-ओजस्विनी द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में भावांजलि दी गयी। इसके साथ ही एक परिचर्चा का भी आयोजन हुआ, जिसका संचालन तथा समन्वयन ओजस्विनी की जिलाध्यक्ष डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला मंत्री अमीषा भारती द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। रजनी त्यागी, शिल्पा साहनी, हर्षिता मिश्रा, जूही, अन्या गुप्ता, अमीषा भारती और ओजस्विनी की अन्य सदस्यों ने भी अहिल्याबाई के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
महारानी अहिल्याबाई होल्कर को महिला सशक्तीकरण का अग्रदूत बताते हुए ओजस्विनी की अध्यक्ष डॉ रश्मि ने कहा कि उनका संपूर्ण जीवन प्रेरक है, उनके द्वारा उठाया गया हर कदम प्रणम्य है। 31 मई 1725 से लेकर 13 अगस्त 1795 तक भारत भूमि की मनसा वाचा कर्मणा सेवा में संलग्न महारानी अहिल्याबाई का विराट प्रजावत्सल व्यक्तित्व सभी को ‘स्व’ से ऊपर उठकर ‘पर’ उपकार के लिए प्रेरित करता है। अपने प्रियजनों, यथा श्वसुर मल्हार राव, पति खंडे राव, पुत्र माले राव तथा पुत्री मुक्ता बाई की अकाल मृत्यु के बाद भी उन्होंने स्वयं को टूटने नहीं दिया। डॉ रश्मि ने कहा कि महारानी अहिल्याबाई ने दिखावे के लिए नहीं, अपितु लोकहित की भावना से अनुप्रेरित होकर भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों पर मंदिर, धर्मशाला, कुंड और घाट आदि बनवाये। उनके द्वारा निर्मित मंदिरों एवं मंडपों में गया का विष्णुपद मंदिर भी शामिल है। डॉ रश्मि ने कहा कि गया की पावन भूमि विष्णुपद मंदिर की निर्मात्री देवी अहिल्याबाई के प्रति सदैव ऋणी तथा कृतज्ञ रहेगी। माता अहिल्याबाई ने देशभक्ति, परोपकार एवं समाज सेवा को अपने जीवन का परम उद्देश्य बना लिया था। वह आजीवन हिन्दू धर्म, भारतीय संस्कृति, संगीत, शिक्षा, साहित्य तथा विभिन्न कलाओं की समर्पित उद्धारिका तथा संरक्षिका बनी रहीं।
राष्ट्रीय महिला परिषद (अहिप) की जिला संरक्षक रजनी त्यागी ने विष्णुपद मंदिर को एक अनुपम कृति बताया। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई की उदार धार्मिक प्रवृत्ति ने ही उन्हें एक गरीब व साधारण परिवार में पली-बढ़ी बालिका से महारानी बना डाला। ओजस्विनी की जिला मंत्री अमीषा भारती ने अहिल्याबाई द्वारा बनाये गये अन्य प्रसिद्ध मंदिरों की जानकारी देते हुए उन्हें हिन्दू धर्म एवं भारतीय संस्कृति का गौरव बतलाया। अन्या गुप्ता ने कहा कि वह अक्सर विष्णुपद दर्शन के साथ ही मंदिर की निर्मात्री माता अहिल्याबाई की प्रतिमा के आगे सिर नवा कर उनके योगदान को स्मरण करती हैं। ओजस्विनी की महामंत्री शिल्पा साहनी ने विष्णुपद मंदिर को गया ही नहीं, अपितु संपूर्ण भारतवर्ष के लिए गौरव का विषय बताया। हर्षिता मिश्रा ने कहा कि बिहार के पर्यटन स्थलों में विष्णुपद मंदिर का नाम अग्रगण्य है। यह भी कि इसकी निर्मात्री महारानी अहिल्याबाई न सिर्फ नारी शक्ति, बल्कि दुनिया के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत हैं। जूही ने कहा कि हमें महारानी अहिल्याबाई के संघर्षशील जीवन से यह सीख लेनी चाहिए कि कितने भी दुख आयें, पर हम हिम्मत नहीं हारें और परोपकार करते रहें। परिचर्चा में शामिल अन्य ओजस्विनियों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का समापन डॉ रश्मि द्वारा प्रस्तुत पावन शांति पाठ से हुआ।

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