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असम के हित में सरकार हिंदी शिक्षकों के पद विलुप्ति के बारे में पुनर्विचार करें

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भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३४३ के तहत हिन्दी को  राजभाषा का दर्जा दिया  गया है। हिन्दी में  प़ढाई लिखाई  भारतीय राष्ट्र के लिए स्वाभिमान की बात है। असम भारतीय गणराज्य का अभिन्न अंग है, ऐसे में असम में भी लोग हिन्दी पढें- लिखे, इससे असम का गौरव बढ़ेगा | वर्तमान समय में असम के राष्ट्रवादी सरकार द्वारा असम के स्कुलों मे नयी शिक्षा नीति के हवाला देकर हिन्दी शिक्षकों की पद विलुप्ति को लेकर लिया गया फैसला असम के असमियां लोगो के हितो के विपरीत है। क्योंकि असम के मुख्यमंत्री जब असम से बाहर रहते है तो हिन्दी में संवाद सम्मेलन करते है, असम के बाहर चुनावी प्रचार भी हिन्दी में ही करते है। सिर्फ यही नही प़ढाई एवं नौकरी के लिए जितने असमियां युवक असम के बाहर जाते हैं, वह हिन्दी में ही संवाद करते है। हिन्दी के जानकारी के कारण उन्हें कोई ज्यादा दिक्कत नही होती| असम में ८० के दशक के पूर्व से ही हिन्दी पढाई जाति रही है, कभी भी किसी भी सरकार को इसमे कोई गलती दिखाई नही दी| वर्तमान सरकार के समय में भी एक दो वार हिन्दी शिक्षकों की  नियुक्ति हुई है। लेकिन हाल ही में हिन्दी शिक्षकों की पद विलुप्ति को लेकर असम सरकार द्वारा लिया गया फैसले से लोगो में नराजगी देखी जा रही है। इसके पीछे नयी शिक्षा नीति में दिया गया भाषा शिक्षा के प्रावधानो का हवाला दिया जा रहा हैं | लेकिन नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा, अंग्रेजी एवं तीसरा कोई भी  भारतीय भाषा पढ़ने की प्रावधान है | ऐसे में हिंदी शिक्षकों के पद विलुप्ति के कारण बच्चों को हिंदी पढने की सुविधा न देना कही न कही राष्ट्र एवं असम के नौजवानों के हित मे नही है | ऐसे में सरकार को चाहिए की अपनी फैसले की पुन:समीक्षा करे |
                            पूर्णिमा चौहान, शिलचर

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