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हाल ही में “असम टी एंड एक्सटी पीपल्स फोरम” ने बराक घाटी में चाय बागानों के प्रभुत्व वाली सीटों को कम करने के खिलाफ 20 जून 2023 ई को भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए परिसीमन के मसौदे का कड़ा विरोध किया। मंच के अध्यक्ष श्री लक्ष्मी
निवास जी ने कहा कि, उनके चाय बागान क्षेत्र जैसे काटलीचेरा, पाथरकांदी, दुल्लभचेरा
और शिंगला घाटी इत्यादि सीटों को नष्ट कर इन समुदायों का निर्माण करके चाय बागानों
के स्थापित समुदायों को नष्ट करने का प्रयास एक खतरनाक संकेत है। श्री कलवार ने यह
भी कहा कि सुदूर अतीत में लगभग 200 वर्षों तक बिना थके काम करने और त्याग करने
वाला यह बड़ा समाज बहुत कम वेतन के बदले बिना किसी आंदोलन या विरोध के एक
उत्पादक मूलक मूक क्रांति कर रहा है। यहां तक कि इस समाज के कई लोगों ने स्वतंत्रता
संग्राम के असहयोग आंदोलन एवं अन्य संग्रामी कार्यक्रमों में भाग पीड़ा झेली, कारावासित और खुद को बलिदान भी दिया। वर्तमान परिसीमन के मसौदे ने इनके अवदान को भूलंठित किया है और असम के अनुत्पादक और हिंसाग्रस्त बोडोलैंड और अन्य क्षेत्रों को पुरस्कृत किया है।
अतः भारत के निर्वाचन आयोग तथा असम सरकार को इन अविचार मुलक delimitation प्रस्ताव को खारिज करते हुए असम की बराक घाटी में पहले से चाय जनगोष्ठी के लोगों की जनसांख्यिकी के अनुसार चायजनगोष्टी के लोगों के लिए छह संभावित विधानसभा सीटें सुरक्षित करने की जोरदार मांग की। ये संभावित निर्वाचन क्षेत्र काटलीचेरा, राताबारी, पाथरकंडी, लक्षीपुर, उधारबंद, धोलाई और बडखला हैं।