325 रुपये की पुस्तक मात्र 10 रुपये में खरीदी गई
प्रमाण के तौर पर उन्होंने विष्णु शर्मा द्वारा रचित ‘पंचतंत्र’ के बोडो संस्करण की एक प्रति मात्र 10 रुपये में खरीद ली, जबकि इस पुस्तक का मूल मूल्य ₹325 है। इस पुस्तक का असमिया से बोडो में अनुवाद ज्ञानेंद्र बसुमतारी ने किया था। पुस्तक का प्रथम बोडो संस्करण जनवरी 2025 में प्रकाशित हुआ था और इसे असम प्रकाशन परिषद के सचिव प्रमोद कलिता द्वारा प्रकाशित किया गया था। पुस्तक की छपाई एस.एस. ग्राफिक्स, गुवाहाटी से हुई थी।
सरकारी धन की बर्बादी और साहित्य का अपमान
यह स्थिति न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग को उजागर करती है बल्कि बोडो भाषा और साहित्य का भी घोर अपमान है। महंगी और नई प्रकाशित पुस्तकों को इस तरह कचरे में बदल देना असम सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करता है। यदि इन पुस्तकों का उपयोग ही नहीं हो रहा था, तो इतनी संख्या में इन्हें प्रकाशित करने की आवश्यकता क्यों पड़ी? क्या असम प्रकाशन परिषद बिना योजना के पुस्तकों का मुद्रण करवा रही है?
सरकार से जांच और रोकथाम की मांग
इस पूरे मामले में सरकार की लापरवाही और अपव्यय पर गंभीर सवाल उठते हैं। बोडो भाषा के संरक्षण और उन्नति के लिए प्रतिबद्ध असम विधानसभा के अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी को इस पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। यदि सरकारी प्रकाशन की पुस्तकों का यह हश्र हो रहा है, तो असम सरकार को तत्काल इसकी उच्चस्तरीय जांच करानी चाहिए और ऐसे मामलों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।