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फोन पर विशेष बातचीत में महासचिव ने रखी संगठन की प्राथमिकताएँ, भोजपुरियों को एकजुट होने का आह्वान।
शिव कुमार शिलचर,असम: असम में 36 लाख से अधिक भोजपुरी भाषियों के अधिकारों और संस्कृति को सशक्त बनाने की दिशा में अखिल असम भोजपुरी परिषद की भूमिका लगातार मजबूत हो रही है। हाल ही में गणेश पासवान को परिषद का केंद्रीय महासचिव चुना गया, जिनका संगठन में योगदान पिछले कई वर्षों से उल्लेखनीय रहा है। अब महासचिव के रूप में वे भोजपुरी समाज को एकजुट कर इसकी सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उन्नति के लिए कार्य करने का संकल्प ले रहे हैं। विशेष फोन वार्ता के दौरान गणेश पासवान, ने अपनी भावी योजनाओं और परिषद के उद्देश्यों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि संगठन का मुख्य उद्देश्य असम के भोजपुरी भाषियों को सशक्त बनाना, उनकी समस्याओं को सरकार तक पहुँचाना और उनकी भाषा व संस्कृति की रक्षा करना है।गणेश पासवान वर्ष 2011 से अखिल असम भोजपुरी परिषद से जुड़े हुए हैं और 2012 के बाद से सक्रिय रूप से संगठन के कार्यों में अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने बोकाजान आंचलिक समिति से लेकर जिला और अब केंद्रीय स्तर तक अपनी जिम्मेदारी का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। परिषद में उनकी मेहनत और सक्रियता को देखते हुए उन्हें महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गई।गणेश पासवान से फोन पर हुई वार्ता में स्पष्ट किया कि अखिल असम भोजपुरी परिषद का मुख्य उद्देश्य असम में बसे भोजपुरी भाषियों को राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और संवैधानिक रूप से सशक्त करना है। परिषद इस दिशा में वर्षों से प्रयासरत है और भोजपुरी समाज की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने और उनके समाधान के लिए ठोस रणनीतियाँ बना रही है।महासचिव ने कहा कि अब उनकी प्राथमिकता असम के प्रत्येक जिले में संगठन को मजबूत करना और अधिक से अधिक लोगों को परिषद से जोड़ना है। इसके अलावा, युवा, छात्र, कर्मचारी, व्यापारी और चाय जनजाति समुदाय के लोगों को परिषद की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल करना भी उनके एजेंडे में है।उन्होंने कहा कि, अगर हम एक संगठित समाज के रूप में आगे बढ़ेंगे, तभी हमें हमारे हक और अधिकार मिल पाएंगे। हमें राजनीति से ऊपर उठकर अपनी भाषा, संस्कृति और अस्तित्व को बचाने की दिशा में आगे बढ़ना होगा।महासचिव गणेश पासवान ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि आज की युवा पीढ़ी भोजपुरी भाषा और संस्कृति से दूर होती जा रही है। उन्होंने कहा, अगर हमें अपनी पहचान बचानी है, तो सबसे पहले हमें अपनी भाषा को अपने घरों में जीवित रखना होगा। जब हम अपने बच्चों से भोजपुरी में बात करेंगे, तभी वे इसे अपनाएंगे और आगे बढ़ाएंगे।उन्होंने सुझाव दिया कि भोजपुरी भाषा को बढ़ावा देने के लिए भोजपुरी साहित्य, नाटक, संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। परिषद इस दिशा में कई योजनाएँ बना रही है ताकि भोजपुरी समाज अपनी भाषा और परंपराओं को गर्व के साथ अपना सके।गणेश पासवान ने कहा कि भोजपुरी भाषा को अभी तक भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है, जो कि भोजपुरी भाषियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि भारत के कई राज्यों – उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल में भोजपुरी बोली जाती है। इसके अलावा, मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद-टोबैगो और नेपाल जैसे देशों में भी भोजपुरी बोलने वालों की एक बड़ी आबादी मौजूद है।परिषद इस मुद्दे को सरकार तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयासरत है और जल्द ही इस विषय पर व्यापक अभियान चलाया जाएगा।महासचिव ने सभी भोजपुरी भाषियों से आगामी जनगणना के दौरान अपनी मातृभाषा के रूप में भोजपुरी दर्ज कराने की अपील की। उन्होंने कहा कि,अगर हम अपनी पहचान खुद ही छिपाएंगे, तो सरकारें भी हमें नजरअंदाज कर देंगी। इसलिए, हमें गर्व के साथ अपनी मातृभाषा भोजपुरी को सरकारी दस्तावेजों में दर्ज कराना होगा। गणेश पासवान ने इस बात पर जोर दिया कि असम में चाय जनजाति के बीच भी बड़ी संख्या में भोजपुरी भाषी लोग रहते हैं। लेकिन अब तक शहरों में रहने वाले भोजपुरी भाषी और चाय जनजाति भोजपुरी समाज के बीच समन्वय की कमी रही है। उन्होंने कहा कि, अगर हमें समाज को मजबूत बनाना है, तो हमें इन दोनों वर्गों को एकजुट करना होगा। जब चाय जनजाति और शहरी भोजपुरी भाषी मिलकर कार्य करेंगे, तब ही हमारा समाज एक प्रभावशाली पहचान बना सकेगा।महासचिव ने स्पष्ट किया कि अखिल असम भोजपुरी परिषद एक सामाजिक संगठन है और इसका उद्देश्य किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन या विरोध करना नहीं है। उन्होंने कहा कि, हमारा लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ भोजपुरी समाज का विकास और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हम शिक्षा, रोजगार, संस्कृति और संवैधानिक अधिकारों को लेकर काम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।अंत में, महासचिव गणेश पासवान ने सभी भोजपुरी भाषियों से एकजुट रहने और अपने समाज के उत्थान के लिए सक्रिय योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा,भोजपुरी समाज को अपनी पहचान को बचाने और मजबूत करने के लिए संगठित होना होगा। अगर हम सभी एक साथ आएंगे, तो न केवल हमारी भाषा और संस्कृति सुरक्षित रहेगी, बल्कि हम अपने संवैधानिक अधिकारों को भी सुनिश्चित कर पाएंगे। आइए, मिलकर अखिल असम भोजपुरी परिषद को और मजबूत बनाएं और अपने समाज के गौरव को आगे बढ़ाएं।





















