नाम बदलकर “शिलचर विश्वविद्यालय” करने की उठी मांग
शिलचर, 28 मई: असम विश्वविद्यालय के इतिहास को लेकर प्रोफेसर प्रशांत चक्रवर्ती की टिप्पणी पर शिलचर जिला कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। कांग्रेस नेताओं ने असम विश्वविद्यालय का नाम बदलकर “शिलचर विश्वविद्यालय” करने की भी जोरदार मांग की है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बराक घाटी असम राज्य में बांग्लाभाषी समुदाय का मुख्य केंद्र है। यहां के लोगों को न तो “বাংলা সাহিত্য সভা” (बांग्ला साहित्य सभा) की स्थापना की तिथि की जानकारी है और न ही इस संस्था को किसने मान्यता दी, यह स्पष्ट है। ऐसे में इस संस्था के एक प्रोफेसर का अचानक बराक घाटी में आकर असम विश्वविद्यालय आंदोलन के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना अत्यंत आपत्तिजनक है।
19 मई को जब पूरा बराक क्षेत्र 11 शहीदों की स्मृति में भावुक श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा था, उस समय बांग्ला साहित्य सभा के प्रोफेसर प्रशांत चक्रवर्ती ने असम विश्वविद्यालय को असम आंदोलन की देन बताकर इतिहास को विकृत करने का प्रयास किया। जिला कांग्रेस अध्यक्ष अभिजीत पाल ने इस बयान को असमिया उग्र राष्ट्रवाद को तुष्ट करने की एक सोची-समझी चाल बताया। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल सहित ब्रह्मपुत्र घाटी के कई नेता असम विश्वविद्यालय को लेकर विवाद उत्पन्न कर चुके हैं।
कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि असम विश्वविद्यालय बराक घाटी के लोगों की वर्षों की संघर्ष की उपज है। 1980 के दशक में छात्र संगठन ‘आकसा’ के नेतृत्व में 10 वर्षों तक चले आंदोलन के बाद यह केंद्रीय विश्वविद्यालय बराक में स्थापित किया गया। दिवंगत केंद्रीय मंत्री संतोष मोहन देव की इसमें विशेष भूमिका रही। लेकिन विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से ही कुछ शक्तियाँ इसके इतिहास को बार-बार विकृत करने की कोशिश कर रही हैं।
इस पूरे मुद्दे पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष अभिजीत पाल, सञ्जीव राय, सुजन दत्त, सीमांत भट्टाचार्य और सूर्यकांत सरकार समेत कई नेताओं ने संयुक्त रूप से प्रेस को संबोधित किया और प्रोफेसर चक्रवर्ती के बयान की निंदा करते हुए बराक की भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करने की सख्त चेतावनी दी। साथ ही असम विश्वविद्यालय का नाम बदलकर “शिलचर विश्वविद्यालय” रखने की मांग को दोहराया।





















