प्रे.सं शिलचर। आईरंगमारा स्थित शिल्पग्राम में सात दिवसीय एनएसएस शिविर का आयोजन किया गया। असम विश्वविद्यालय के एनएसएस सेल की देखरेख में 13 से 19 मार्च तक आयोजित शिविर में लगभग 70 छात्रों ने भाग लिया। उद्घाटन के इस पावन अवसर पर असम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजीव मोहन पंत, केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य के बी सिंह, एनएसएस सेल प्रमुख प्रोफेसर गंगा भूषण और अन्य लोग उपस्थित थे। कुलपति ने शिल्पग्राम और स्थानीय ग्रामीणों की सराहना की और कहा कि इस गांव को भविष्य में मेघालय के मावलोंग या अन्य गांवों की तरह बनाया जा सकता है जो विभिन्न पहलुओं में विकास के चरम पर पहुंच गए हैं और लोग यहां नियमित रूप से आएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय हमेशा औद्योगिक गांव के साथ खड़ा रहेगा। प्रोफेसर गंगाभूषण ने पुजारी बिल बनाने में सहयोग के साथ-साथ शिल्पग्राम के लोगों और सात दिवसीय शिविर के लिए सभी को धन्यवाद दिया। विश्वविद्यालय के एनएसएस स्वयंसेवकों ने उन्हें सदैव याद रखने और यहां के विकास में मदद करने का आश्वासन दिया। उद्घाटन के बाद 10 स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों के साथ एक कार्यशाला की प्रस्तुति हुई। दूसरे दिन प्रथम कालखंड में योग क्रियाएं हुईं। दूसरे चरण में विद्यार्थियों को 9 समूहों में बांटा गया और कुछ पड़ोसी गांवों में सर्वेक्षण करके एक सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट तैयार की गई। तीसरे दिन प्रमुख चिकित्सकों की उपस्थिति में चिकित्सा शिविर लगाया गया, जिसमें करीब 100 मरीजों को इलाज के साथ-साथ दवा भी दी गयी। यहां तक कि कोई बीमार व्यक्ति जो शिविर में आने में असमर्थ है, उसे चिकित्सा सेवाओं के साथ-साथ दवाओं के साथ घर पहुंचाया जाता है। चौथे दिन सिलचर नगर स्वच्छ भारत मिशन के प्रमुख राजीव चन्द एवं दिशा फाउंडेशन के प्रधान द्वारा कार्यशाला आयोजित हुई। इसके अलावा विश्वविद्यालय के कुलपति भी एक बार फिर शिविर में आये, इस दिन की मुख्य विशेषता मोबाइल फ्री कैम्प रही। सुबह कैंप में पहुंचने के बाद सभी के मोबाइल जमा कर लिए जाते हैं और दोपहर में जाने का समय दिया जाता है। यहां तक कि कुलपति प्रोफेसर गंगाभूषण भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते थे। पांचवें दिन प्रोफेसर गंगाभूषण के नेतृत्व में पूरे पुजारी बिल परिसर को खाली करा लिया गया। इसके बाद चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 40 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इसके अलावा दस-दस ओवर के दो क्रिकेट मैच आयोजित किये गये। प्रोफेसर गंगाभूषण ने “गुड टच और बैड टच” पर एक लघु फिल्म दिखाने के साथ-साथ स्थानीय माताओं को विषय समझाया।छठे दिन के पहले भाग में शोधकर्ता असीम विश्वास और बी फार्म के छात्र अभिषेक नाथ ने योग के बारे में बात करने के अलावा प्रदर्शन भी किया। असम विश्वविद्यालय के जीवन विज्ञान विभाग के साठ छात्र शुरू से ही उपस्थित रहे और दिन की प्रत्येक कार्यशाला में भाग लिया। विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों द्वारा कार्यशालाएँ आयोजित की गयी हैं। यूनिवर्सिटी हेल्थ सेंटर की चिकित्सक डॉ. शतभिषा रॉयचौधरी ने स्वास्थ्य जागरूकता पर छात्रों और ग्रामीण माताओं के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया। सातवें दिन, स्वयंसेवकों द्वारा आईरंगमारा बाज़ार में चार नाटक प्रस्तुत किया गया। शराब, कैंसर, शिक्षा और अशिक्षा जैसे विषयों पर नाटक प्रस्तुत किया गया । उसके बाद समापन समारोह में स्थानीय लोगों और स्वयंसेवकों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। असम विश्वविद्यालय के कुलपति अलग-अलग दिनों में आयोजित प्रतियोगिताओं के लिए स्वयंसेवकों के पुरस्कार, प्रमाणपत्र प्रदान किया। सम्पूर्ण सात दिवसीय कार्यक्रम का पीपीटी प्रस्तुत की गयी। कुलपति ने ऐसे सात दिवसीय शिविर की जमकर सराहना की। खासकर प्रोफेसर गंगाभूषण ने ऐसे औद्योगिक गांव का आयोजन कर यहां विकास का द्वार खोल दिया है। प्रो. गंगाभूषण ने शिविर को सफल बनाने में सहयोग के लिए सभी को धन्यवाद दिया। समापन समारोह का संचालन सुचरिता रॉय ने किया। समापन समारोह में असम विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष शुभम रॉय सहित अन्य विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। इस शिविर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों में शिल्पग्रामवासी, पुजारी बिल प्रबंधन, संस्कार भारती दक्षिण असम क्षेत्र, ताराशंकर गोस्वामी, सुचरिता रॉय, पोस्ट डॉक्टोरल शोधकर्ता विनय पाल, विद्यार्थी शुभमय चंद, शुभ्रज्योति दे, देवांजन सेन, अभिषेक नाथ, मौसमी राजवंशी , देवर्षि चक्रवर्ती, शोधकर्ता असीम विश्वास, प्रोफेसर शुबोजीत रॉयचौधरी, एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी कागधागड़े और विश्वजीत दास, योग शिक्षक कृष्ण दास आदि शामिल थे।




















