प्रे.स., शिलचर, 21 मार्च: असम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रदोष किरण नाथ ने विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इफ्तार में भाग लेने संबंधी समाचार का खंडन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी किसी इफ्तार कार्यक्रम में भाग नहीं लिया और यह दावा पूरी तरह निराधार है।
कुलसचिव ने कहा कि असम विश्वविद्यालय में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधियों की अनुमति नहीं है और यह नीति विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा स्पष्ट रूप से लागू की जाती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “ऑफिस में अनौपचारिक रूप से (ऑन-ऑफिशियल) कोई भी धार्मिक आयोजन नहीं होता, और मैंने भी ऐसी किसी गतिविधि की अनुमति नहीं दी है।” हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि “यदि कोई व्यक्ति निजी स्तर पर धार्मिक आस्था से कोई आयोजन करता है और वह कानून-व्यवस्था को प्रभावित नहीं करता, तो विश्वविद्यालय उसमें हस्तक्षेप नहीं करता।”
सरस्वती पूजा पर उठे सवालों का दिया जवाब
सरस्वती पूजा को लेकर उठे सवालों पर कुलसचिव प्रदोष किरण नाथ ने कहा कि “सरस्वती विद्या की देवी हैं, और विश्वविद्यालय विद्या का मंदिर है। ऐसे में सरस्वती पूजा की अनुमति लेने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है और देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में इसे मनाया जाता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि “सरस्वती पूजा की तुलना इफ्तार से करना उचित नहीं है, क्योंकि दोनों की प्रकृति और उद्देश्य भिन्न हैं।”
विवाद की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि असम विश्वविद्यालय में आयोजित इफ्तार को लेकर हाल ही में विवाद खड़ा हुआ था। कुछ छात्र समूहों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए धार्मिक आयोजनों को लेकर भेदभाव करने की बात कही थी। हालांकि, कुलसचिव के इस बयान के बाद अब स्थिति स्पष्ट हो गई है कि विश्वविद्यालय प्रशासन धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का पालन करता है और किसी भी आधिकारिक धार्मिक आयोजन को अनुमति नहीं देता।
(प्रेरणा भारती के लिए विशेष रिपोर्ट)




















