सिलचर, 9 मार्च 2025 | विशेष संवाददाता
असम विश्वविद्यालय, सिलचर के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर और डीन, स्टूडेंट्स वेलफेयर, प्रो. अनुप कुमार डे को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR), नई दिल्ली द्वारा “नागरिकता, पहचान और आत्मीयता: बराक घाटी में हिंदू शरणार्थियों पर NRC और CAA के कानूनी एवं सामाजिक प्रभावों का अध्ययन” विषय पर प्रमुख शोध परियोजना (Major Research Project) स्वीकृत की गई है। यह परियोजना दो वर्षों की अवधि तक चलेगी।
शोध परियोजना का उद्देश्य
इस शोध का मुख्य उद्देश्य असम की बराक घाटी में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के सामाजिक और कानूनी प्रभावों का गहन अध्ययन करना है। बराक घाटी अपने विशिष्ट सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के कारण लंबे समय से उन बांग्ला भाषी हिंदू शरणार्थियों के लिए एक सुरक्षित शरणस्थली रही है, जो 1947 के विभाजन और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के कारण भारत में प्रवास करने को मजबूर हुए थे।
हालांकि, वर्तमान कानूनी प्रक्रियाओं और नीतिगत ढांचे, विशेष रूप से NRC और CAA, ने इन शरणार्थियों की नागरिकता और पहचान को लेकर कई जटिल प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
शोध के प्रमुख बिंदु
इस अध्ययन के माध्यम से निम्नलिखित महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण किया जाएगा:
✔ NRC और CAA के प्रभाव – यह कानून किस प्रकार हिंदू शरणार्थियों की पहचान, नागरिकता स्थिति और आत्मीयता की भावना को प्रभावित कर रहे हैं?
✔ नागरिकता दावों पर सरकारी एवं कानूनी संस्थानों की भूमिका – इन संस्थानों की कार्यप्रणाली और उनके निर्णय शरणार्थियों के भविष्य को कैसे आकार दे रहे हैं?
✔ शरणार्थियों के जीवन अनुभवों का दस्तावेजीकरण – एक मिश्रित शोध पद्धति (Mixed-Methods Approach) अपनाई जाएगी, जिसमें मात्रात्मक सर्वेक्षण (Quantitative Surveys), गुणात्मक साक्षात्कार (Qualitative Interviews) और केस स्टडीज (Case Studies) के माध्यम से प्रभावित व्यक्तियों की वास्तविक कहानियों को संकलित किया जाएगा।
महत्व और संभावित प्रभाव
यह शोध परियोजना न केवल NRC और CAA की सामाजिक एवं कानूनी जटिलताओं को उजागर करेगी, बल्कि इन नीतियों के तहत प्रभावित हजारों हिंदू शरणार्थियों के जीवन, अधिकारों और नागरिकता संबंधी चुनौतियों को भी सामने लाएगी। इससे नीति निर्धारकों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को नए दृष्टिकोण और साक्ष्य-आधारित सुझाव प्रदान करने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
प्रो. अनुप कुमार डे द्वारा संचालित यह शोध बराक घाटी में नागरिकता, पहचान और आत्मीयता पर एक महत्वपूर्ण अध्ययन होगा, जो इस विषय से जुड़े सामाजिक, कानूनी और राजनीतिक विमर्श को नई दिशा देगा। ICSSR द्वारा अनुदानित यह परियोजना असम और संपूर्ण उत्तर-पूर्वी भारत के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण योगदान साबित हो सकती है।





















