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असम विश्वविद्यालय में एचआईवी/एड्स पर दो दिवसीय सह-शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन

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सिलचर, 9 अप्रैल 2025:
असम विश्वविद्यालय, सिलचर में 8-9 अप्रैल 2025 को एचआईवी/एड्स पर सह-शिक्षकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम का आयोजन असम विश्वविद्यालय के रेड रिबन क्लब, एनएसएस सेल और सामाजिक कार्य विभाग द्वारा किया गया था, जिसमें असम राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (ASACS) और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) का सहयोग प्राप्त हुआ।

प्रशिक्षण का उद्देश्य और भागीदारी

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य विश्वविद्यालय एवं इसके संबद्ध कॉलेजों के युवाओं को एचआईवी/एड्स की वास्तविकताओं से अवगत कराना, उन्हें सहकर्मी शिक्षक के रूप में तैयार करना, और सामाजिक कलंक को दूर करते हुए जनजागरूकता अभियान को गति देना था।
इस अवसर पर असम विश्वविद्यालय, गुरुचरण कॉलेज, राधामाधव कॉलेज, कछार कॉलेज और मनमोहन घोष-अनिल दास मेमोरियल कॉलेज से लगभग 150 छात्र-छात्राओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

प्रमुख वक्ता और संसाधन व्यक्ति

कार्यक्रम में कई विशेषज्ञों ने अपने सत्रों के माध्यम से छात्रों को जागरूक किया:

  • श्री पल्लव ज्योति हजारिका (सहायक निदेशक, ASACS) ने “किशोरावस्था में नशीली दवाओं के उपयोग” विषय पर सत्र लिया, जिसमें उन्होंने नशे की आदतों, उनके मनोवैज्ञानिक प्रभावों और भारत में प्रचलित प्रबंधन रणनीतियों जैसे OST और TI के बारे में जानकारी दी।

  • श्री मनब सुरज्या दास (ASACS) ने “भारत और असम में एचआईवी/एड्स की स्थिति” पर चर्चा की और एचआईवी अनुमान रिपोर्ट 2023 के आधार पर असम में बढ़ते मामलों पर चिंता जताई। उन्होंने एचआईवी से प्रभावित बच्चों, विधवाओं और मरीजों के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का उल्लेख किया।

  • श्री सैयद सलीम हक (क्लीनिकल सेवा अधिकारी) ने “एचआईवी और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017” पर विस्तार से बताया, जिसमें एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के अधिकारों और गोपनीयता की रक्षा के लिए किए गए कानूनी प्रावधानों को रेखांकित किया गया।

  • डॉ. लालजो थांगजम (सहायक प्रोफेसर, सामाजिक कार्य विभाग) ने एचआईवी के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों को रेखांकित करते हुए परिवार-आधारित सहायता प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डाला।

  • प्रो. तरुण विकास सुकाई (प्रमुख, सामाजिक कार्य विभाग) ने समापन सत्र में समुदाय-संवेदनशीलता, क्षमता निर्माण और सामाजिक समावेशन की वकालत की।

  • डॉ. कथिरेसन लोगनाथन (एसोसिएट प्रोफेसर, सामाजिक कार्य विभाग) ने सह-रुग्णता और स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच जैसे मुद्दों पर ध्यान दिलाया।

सत्र की झलकियाँ

प्रशिक्षण में संवादात्मक सत्र, प्रश्नोत्तरी, वृत्तचित्र प्रदर्शन, और केस स्टडी के माध्यम से प्रतिभागियों को एचआईवी/एड्स की रोकथाम, उपचार और सामाजिक समावेशन से जुड़े पहलुओं पर प्रशिक्षित किया गया।

प्रो. एम. गंगाभूषण मोलंकल (कार्यक्रम समन्वयक, एनएसएस सेल) ने अपने उद्घाटन भाषण में कछार जिले में एचआईवी/एड्स के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए युवाओं से नेतृत्व की भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने एनएसएस स्वयंसेवकों, एनसीसी कैडेटों और अन्य छात्रों के योगदान की सराहना की।

डॉ. शुभदीप रॉय चौधरी (कार्यक्रम अधिकारी, एनएसएस) ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए प्रतिभागियों से अपील की कि वे अपने संस्थानों में जागरूकता फैलाने वाले सहकर्मी शिक्षक बनें।

कार्यक्रम का संचालन सुश्री ईशा नाथ (राजनीति विज्ञान विभाग) और सुश्री सोनाली घोष (सामाजिक कार्य विभाग) ने किया। छात्र समन्वयक श्री सुब्रज्योति डे और श्री सोमिर दास रहे।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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