शिलचर, जुलाई 2025 – असम विश्वविद्यालय, शिलचर ने शनिवार को पहली बार TEDx कार्यक्रम की मेजबानी की, जो पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, संघर्षों और नवाचार को वैश्विक मंच पर उजागर करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की थीम रही — “Resilient Echoes from the East” — यानी “पूर्व की स्थायित्वपूर्ण गूंजें”, जो इस क्षेत्र की सच्ची भावना और परिवर्तनकारी विचारों की शक्ति को दर्शाती है।
कार्यक्रम में पूर्वोत्तर के विविध अनुभवों, सफलता की कहानियों और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रतिबद्धताओं को प्रभावशाली वक्ताओं के जरिए प्रस्तुत किया गया। इन वक्ताओं ने अपने अनुभवों से यह दर्शाया कि कैसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी स्थिरता, सृजनशीलता और भविष्यदृष्टि से समाज को दिशा दी जा सकती है।
प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे:
- डॉ. विजेंद्र चौहान – प्रख्यात हिंदी प्रोफेसर, प्रेरणादायक वक्ता और यूपीएससी साक्षात्कार कोच
- अर्घदीप बरुआ – प्रतिभाशाली फिल्म निर्माता और सांस्कृतिक कथाकार
- डॉ. रवि कन्नन – पद्मश्री और रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित, तथा कछार कैंसर अस्पताल के निदेशक
- लेफ्टिनेंट कर्नल के. सचिन सिंह, एसएम – वीरता पुरस्कार से सम्मानित भारतीय सेना अधिकारी
- सागर तेजवानी – यूएई में इनवेस्टमेंट बैंकिंग के कम्प्लायंस लीडर
- कनिष्का अग्रवाल – राजनीतिक रणनीतिकार और एआई-गवटेक सलाहकार
- सुमित डे – एनवीडिया, जर्मनी में इंजीनियर और ऑटोनोमस मोबिलिटी इनोवेटर
- डॉ. प्रगति सिंह – वीएलएसआई शोधकर्ता और एनआईटी मिजोरम की प्रोफेसर
- नीलिमा राय चौधरी – वेलनेस उद्यमी और TEDx वक्ता
- पार्थ प्रतिम शोइकिया – असम की चाय अर्थव्यवस्था के प्रबंधन विशेषज्ञ
- सायम मजूमदार – युवा संरक्षण कार्यकर्ता और राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता
- तन्मय आचार्य – मार्केटिंग रिसर्चर और असम विश्वविद्यालय के “यूथ आइकन” अवार्ड विजेता
- आई. बी. उभाड़िया – रोजकांदी टी एस्टेट के जनरल मैनेजर और चाय उद्योग के अनुभवी विशेषज्ञ
आयोजन की अध्यक्ष सीमा पाल ने मीडिया से बातचीत में बताया, “TEDx एक वैश्विक मंच है और असम विश्वविद्यालय में यह पहली बार पूरी तरह से छात्रों द्वारा आयोजित किया गया है। इसमें हमें कुलपति डॉ. राजीव मोहन पंत का पूरा समर्थन मिला। यह तो बस एक शुरुआत है, हम आगे और भी विभागों व विश्वविद्यालयों के सहयोग से ऐसे कार्यक्रम आयोजित करना चाहते हैं ताकि हमारी प्रतिभा को वैश्विक पहचान मिले।”
उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन छात्रों को प्रेरणा देने वाले बन सकते हैं ताकि वे भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना सकें।
डॉ. रवि कन्नन ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा, “ऐसे मंच लोगों को कुछ नया करने और समाज में सकारात्मक प्रभाव लाने के लिए प्रेरित करते हैं। TEDx जैसे आयोजन आयोजकों, प्रतिभागियों और वक्ताओं – सभी के लिए प्रेरणास्रोत बनते हैं। प्रेरणा की शक्ति का माप संभव नहीं है, यह विचारों से विचारों को जन्म देती है और उसका प्रभाव वक्ता के इरादे से कहीं अधिक व्यापक हो सकता है। यही कारण है कि मैं मानता हूं, यह लोगों को जोड़ने का एक बेहतरीन माध्यम है।”
TEDx असम विश्वविद्यालय 2025, पूर्वोत्तर भारत की नई सोच, सामाजिक समर्पण और वैश्विक मंच पर प्रतिनिधित्व की दिशा में एक अहम कदम साबित हुआ है। आयोजकों की मंशा स्पष्ट है — यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि बदलाव की एक शुरुआत है।




















