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असम विश्वविद्यालय में विश्व हिंदी दिवस पर संगोष्ठी: “हिंदी भाषा में प्रशासनिक प्रबंधन – चुनौतियाँ और संभावनाएँ”

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प्रे.स. शिलचर, 10 जनवरी: असम विश्वविद्यालय में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर “हिंदी भाषा में प्रशासनिक प्रबंधन: चुनौतियाँ और संभावनाएँ” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रेमेंद्र मोहन गोस्वामी सभाकक्ष में दीप प्रज्ज्वलन और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। इस अवसर पर असम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजीव मोहन पंत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
अपने उद्घाटन भाषण में कुलपति ने कहा, “विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर इस संगोष्ठी का आयोजन करना हमारे लिए गर्व की बात है। हिंदी न केवल भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका महत्त्व बढ़ रहा है। हमें हिंदी भाषा को तकनीकी, प्रशासनिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में और अधिक मजबूत बनाना होगा। जब अन्य देश अपनी भाषाओं का उपयोग कर वैश्विक स्तर पर प्रभाव छोड़ सकते हैं, तो हिंदी के लिए ऐसा क्यों नहीं हो सकता?”
कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं ने हिंदी भाषा के प्रशासनिक उपयोग की चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा की। नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति सिलचर के सचिव और एनआईटी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौरभ वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा, “हिंदी वह भाषा है जो हमें जोड़ती है। भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए हिंदी का प्रचार-प्रसार आवश्यक है।”
असम विश्वविद्यालय द्वारा विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में हिंदी भाषा में प्रबन्धन : चुनौतियाँ व संभावनाएं विषय पर एक सुंदर संगोष्ठी का आयोजन हुआ । इस अवसर पर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति शिलचर के सचिन डॉक्टर सौरभ वर्मा को सम्मानित करते हुए असम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर एम पंत
इस संगोष्ठी में प्रोफेसर अजिता तिवारी, प्रोफेसर कृष्ण मोहन झा, प्रोफेसर रामकुमार महतो, प्रोफेसर राजन वैद्य, प्रोफेसर अविनाश कुमार और प्रोफेसर जावेद रहमानी जैसे विद्वानों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. शतदल आचार्य, डॉ. शुभदीप, और हिंदी अधिकारी डॉ. सुरेंद्र उपाध्याय ने भी हिंदी के प्रशासनिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य व्यक्तियों में डॉ. पिनाक कांती रॉय, सुब्रत सिन्हा, शंकर शुक्लवैद, बिप्रेश गोस्वामी, अनूप वर्मा, संतोष ग्वाला, संगीता ग्वाला, अब्दुल जलील, जनार्दन ग्वाला, देवाशीष चक्रवर्ती, प्रोफेसर गंगा भूषण, पिक्लू पॉल आदि शमिल थे।
कार्यक्रम के अंत में हिंदी अनुवाद अधिकारी पृथ्वीराज ग्वाला जो राजभाषा अनुपालन के लिए सदैव तत्पर रहते हैं ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस संगोष्ठी ने यह स्पष्ट किया कि हिंदी को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए तकनीकी, प्रशासनिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है।

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