सिलचर। असम विश्वविद्यालय परिसर में स्वप्ना देवी स्मारक भवन का उद्घाटन समारोह गरिमापूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। यह भवन विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की पूर्व प्रोफेसर स्वप्ना देवी की स्मृति में निर्मित किया गया है। इस परियोजना के मुख्य प्रेरक कछार कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और संस्कृत विभाग के पूर्व प्रोफेसर सुखमय भट्टाचार्य रहे।
उद्घाटन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजीव मोहन पंत ने फीता काटकर भवन के द्वार खोले। इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) सिलचर के प्रो. असीम कांति डे, परीक्षा विभाग के प्रमुख प्रो. सुप्रबीर दत्ता रॉय, कार्यकारी अभियंता श्रीमंत पाल, संस्कृत विभाग की प्रमुख प्रो. शांति पोखरेल, डॉ. गोविंदा शर्मा, पूर्व प्रोफेसर स्निग्धा दास रॉय और विवेक वाहिनी के सदस्य भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और संस्कृत विभाग के छात्रों द्वारा अतिथियों के स्वागत से हुआ। विवेक वाहिनी के सदस्यों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देते हुए गणेश वंदना, शिव स्तुति, सरस्वती वंदना एवं विवेकानंद स्तोत्र का भावपूर्ण गायन किया।
अपने उद्देश्य वक्तव्य में प्रो. सुखमय भट्टाचार्य ने स्मारक भवन की भावभूमि, भावी योजनाओं एवं शैक्षणिक उपयोग जैसे योग कक्षाएं, अष्टादश महाविद्या तथा शारद वेदांग पर आधारित पाठ्यक्रमों की रूपरेखा पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रो. स्निग्धा दास रॉय ने भवन निर्माण के महत्व और प्रो. स्वप्ना देवी के प्रेरणादायक योगदान को रेखांकित किया।
अन्य वक्ताओं में श्रीमंत पाल, प्रो. असीम कांति डे और प्रो. सुप्रबीर दत्ता रॉय ने स्मारक भवन की संकल्पना, निर्माण प्रक्रिया और उसके शैक्षणिक-सांस्कृतिक महत्व पर विचार साझा किए। प्रो. शांति पोखरेल ने प्रो. स्वप्ना देवी के व्यक्तित्व और विवेक वाहिनी की भूमिका का स्मरण किया।
समारोह के अंत में कुलपति प्रो. पंत ने भवन निर्माण में योगदान देने वाले सभी व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन और शांति मंत्र के पाठ के साथ हुआ।





















