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शिव कुमार शिलचर 23 जनवरी ,असम विश्वविद्यालय, शिलचर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर एक भव्य श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजीव मोहन पंत द्वारा नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करना था। इस अवसर पर उन्होंने नेताजी के जीवन, संघर्ष और उनके अद्वितीय पराक्रम को याद किया।
कार्यक्रम की शुरुआत नेताजी की प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण और पुष्पांजलि से हुई। इसमें विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. प्रदोष किरण नाथ, प्रोफेसर सुदीप्त राय, असम विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सांगिक चौधरी, महासचिव डॉ. पिनाक कांती रॉय, उपाध्यक्ष पृथ्वीराज ग्वाला, और हिंदी अधिकारी डॉ. सुरेंद्र उपाध्याय ने भी भाग लिया। नेताजी के साहस और पराक्रम की चर्चा कुलपति प्रो. राजीव मोहन पंत ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अद्वितीय प्रतीक थे। उन्होंने 1942 के द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों की सेनाओं को कड़ी चुनौती दी। उनके नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का गठन हुआ, जिसने स्वतंत्रता के सपने को वास्तविकता में बदलने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया। नेताजी के नेतृत्व का ही परिणाम था कि पहली बार भारतीय तिरंगा पोर्ट ब्लेयर में फहराया गया। आज इस तिरंगे को शान से लहराते हुए देखकर उनके योगदान को गर्व से याद किया जा सकता है।उन्होंने यह भी कहा, आज़ादी केवल अहिंसा से संभव नहीं होती। जैसे जंगल का राजा शेर होता है, क्योंकि वह अपने साहस और शक्ति का प्रतीक है। अगर केवल अहिंसा से राज किया जाता, तो जंगल का राजा शेर नहीं, बल्कि गाय होती। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पराक्रम का जो आदर्श प्रस्तुत किया, वह आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है।छात्र-छात्राओं की सांस्कृतिक प्रस्तुति कार्यक्रम को और अधिक रंगीन और प्रभावशाली बनाने के लिए शिक्षा विभाग और प्रदर्शन कला विभाग के विद्यार्थियों ने देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी। उनकी प्रस्तुतियों ने नेताजी की महानता और उनके अद्वितीय योगदान को दर्शकों तक पहुंचाया।
गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति इस कार्यक्रम में असम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इनमें राजेन चक्रवर्ती, शंकर शुक्ल वैद्य, और पार्थ सारथी बनर्जी के नाम उल्लेखनीय हैं। सभी ने नेताजी को पुष्पांजलि अर्पित की और उनके महान कार्यों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।नेताजी की प्रतिमा को लेकर भविष्य की योजनाएं कुलपति प्रो. पंत ने घोषणा की कि असम विश्वविद्यालय नेताजी की विरासत को जीवंत बनाए रखने के लिए विशेष शोध और कार्यक्रम आयोजित करेगा। उन्होंने छात्रों और अध्यापकों को नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने और देशहित में योगदान देने का आह्वान किया।
कार्यक्रम का समापन नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जय-जयकार और राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस आयोजन ने सभी उपस्थित लोगों को प्रेरित किया और उन्हें नेताजी के जीवन और उनके संघर्षों से सीखने के लिए प्रोत्साहित किया।यह कार्यक्रम असम विश्वविद्यालय के लिए गर्व का क्षण था, जहां नेताजी के विचारों और आदर्शों को न केवल याद किया गया बल्कि उन्हें छात्रों और शिक्षकों के जीवन में उतारने का संकल्प भी लिया गया।





















