तेजी से बढ़ रही है बराक नदी, खतरे की सीमा से 1.64 मीटर ऊपर
शिलचर, 19 जून: जिला प्रशासन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि शिलचर संलग्न बेतूकांदी बांध कुछ असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिया है, जिसके चलते बड़ी तेज गति से पानी शिलचर पूर्वी दिशा की तरफ प्रवेश कर रहा है। इसके चलते सिलचर के शहर वासियों के सर पर खतरा मंडरा रहा है।
फ्लड डिपार्टमेंट की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार शाम तक पानी 21.45 मीटर स्पर्श कर गया था।बराक नदी अन्नपूर्णा घाट शिलचर में खतरे की सीमा से 1.64 मीटर ऊपर बह रही है। कल सुबह 8:00 बजे खतरे की सीमा से नीचे अर्थात 19.70 थी। 9:00 बजे खतरे की सीमा 19.81 पर पहुंची। काछाड़ जिले का उधारबंद, लखीपुर, सोनाई, काठीघोड़ा और शिलचर एरिया बाढ़ से प्रभावित हैं।
बाढ़ ने 154 गांव को अपने आगोश में ले लिया है। अट्ठासी शरणार्थी शिविरों में अबतक 13259 लोगों ने शरण ले रखी है। शाम तक मिली रिपोर्ट के अनुसार 87000 से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। 4 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
आज सुबह 9:00 बजे की रीडिंग के अनुसार 21.19 मीटर अर्थात पिछले 24 घंटे में खतरे की सीमा से 138 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी बराक नदी। 8 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पानी बढ़ रहा था पानी। रात में 4-5 सेंटीमीटर की गति से पानी बढ़ रहा था। वही सुबह होते होते 6 सेंटीमीटर, 7 सेंटीमीटर, फिर 8 सेंटीमीटर की गति से पानी बढ़ रहा था। पानी बढ़ने की गति दोपहर बाद कम तो हुई है लेकिन पानी बढ़ ही रहा है। फ्लड डिपार्टमेंट की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार शाम तक पानी 21.45 मीटर स्पर्श कर गया था।
पिछले 4 दिनों से बराक घाटी का मिजोरम और त्रिपुरा का संपर्क सड़क मार्ग से पूरे देश से कट गया है। जबकि रेल मार्ग पहले से ही बंद है। विमान उतरने में भी एयरपोर्ट पर समस्या आ रही है। ऐसी स्थिति में बाजार में आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़नी शुरू हो जाते हैं, आपूर्ति की समस्या आ जाती है। जिससे जनजीवन बेहाल हो जाता है।
उधारबंद कुंभीरग्राम वीआईपी रोड पर पानी, शिलचर मणिपुर रोड पर पानी, रात तक बाकी सड़कों पर भी पानी आने की संभावना है। एहतियात के तौर पर 20 जून को सभी शिक्षण संस्थान बंद करने की घोषणा की गई है।
पिछले 23 मई को 19.84 मीटर पर पहुंचने के बाद बराक नदी का जलस्तर कम होना शुरू हो गया था। तब भी बराक घाटी की हालत खराब थी, अभी 21.45 मीटर से बढ़ ही रहा है, अभी क्या होगा? एक तरफ देश में आंदोलन करके देश को क्षति पहुंचाई जा रही है, दूसरी तरफ पूर्वोत्तर में प्रकृति की मार झेल रहे है, लाखों लोग।