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आईसीएआर-केवीके हाइलाकांदी की पहल — एकीकृत कृषि प्रणाली से सशक्त बनेंगे अनुसूचित जाति के किसान

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तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों ने दिखाया उत्साह और सहभागिता

प्रीतम दास, हाइलाकांदी, 7 अक्टूबर:
आईसीएआर-कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), हाइलाकांदी द्वारा “एकीकृत मत्स्य एवं मुर्गी पालन प्रणाली के माध्यम से अनुसूचित जाति (एससी) के किसानों की आजीविका को सुदृढ़ बनाना” विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 4 से 6 अक्टूबर 2025 तक दक्षिण हाइलाकांदी के घारमुड़ा रामनाथपुर ग्राम पंचायत कार्यालय में संपन्न हुआ।

इस प्रशिक्षण का उद्देश्य अनुसूचित जाति के किसानों को एकीकृत कृषि प्रणाली के माध्यम से स्थायी और लाभदायक आजीविका के लिए वैज्ञानिक ज्ञान एवं व्यावहारिक कौशल प्रदान करना था।

कार्यक्रम का संचालन केवीके हाइलाकांदी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. योगी शारध्या आर. ने किया। उन्होंने एकीकृत मछली, बत्तख एवं बागवानी प्रणाली की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि यह मॉडल न केवल तालाब की उत्पादकता बढ़ाता है, बल्कि किसानों की आय में विविधता लाकर आर्थिक स्थिरता भी सुनिश्चित करता है।

मत्स्य विशेषज्ञ श्री अंगोम बालेश्वर सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को तालाब की तैयारी, उपयुक्त मछली प्रजातियों के चयन, स्टॉकिंग घनत्व, जल गुणवत्ता नियंत्रण, आहार प्रबंधन तथा रोग नियंत्रण जैसे व्यावहारिक विषयों पर विस्तार से प्रशिक्षण दिया।

कार्यक्रम में घारमुड़ा रामनाथपुर और जकोपुर एफवी क्षेत्रों के कुल 27 किसानों (18 पुरुष और 9 महिलाएं) ने सक्रिय भागीदारी की। इस अवसर पर श्री पम्पन दास, ग्राम पंचायत सदस्य, और श्रीमती मुक्ता दास, एपी सदस्य, भी उपस्थित रहीं।

प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों ने एकीकृत कृषि प्रणाली के विभिन्न घटकों को समझा और इसे अपनी खेती में अपनाने के लिए उत्साह व्यक्त किया।

स्थानीय किसानों और अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि आईसीएआर-केवीके हाइलाकांदी की यह पहल भविष्य में इस क्षेत्र को एकीकृत कृषि प्रणाली के “मॉडल गांव” के रूप में विकसित करने में मील का पत्थर सिद्ध होगी।

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