आजकल नवविवाहिताओं और विवाहिताओं द्वारा पति की हत्या करने/कराने के ट्रेंड चल पड़ा है।हिंदू परिवारों में सामान्यतया दो ही बच्चे हैं।एक बेटा और एक बेटी।अपवाद हैं,लेकिन अधिक नहीं हैं।सोचिए कि किसी का इकलौता बेटा किसी हत्यारी पत्नी के चंगुल में फंस जाए और उसकी हत्या हो जाए तो उस माता पिता की स्थिति क्या होगी,जिनका एकमात्र कुलदीपक चला जाए?और किसी को दो तीन पुत्र हों तो भी इस प्रकार की घटनाएं क्या समाज में किसी भयानक विषमता को जन्म नहीं दे रही हैं?क्या यह विवाह संस्था को नष्ट करने का दुर्लभ लक्षण नहीं हैं?
आजकल लुटेरी दुल्हन,सीमेंट के ड्राम में भर देने वाली दुल्हन,गला रेत देने वाली दुल्हन,जहर खिला देने वाली दुल्हन,छत से गिरा देने वाली दुल्हन,नित्य ही समाचार माध्यमों की सुर्खियां बनती हैं।ये कैसी विडंबना है कि पुत्रियां हत्यारिन बनती जा रही हैं।और हर हत्या के पीछे कोई न कोई पूर्व शरीर संबंध या पूर्व प्रेम या विवाहेतर संबंध मिल रहा है।
ये अपराध तथाकथित प्रेम संबंधों या कामवासना के उद्वेग के कारण हो रहें हैं।तो क्या केवल युवा पीढ़ी ही इन अपराधों की कारक है या इस मानसिकता के जन्म और विस्तार के लिए कोई और भी दोषी है।प्रश्न उठता है कि ऐसे मामलों में जघन्य अपराध को कारित करने वाले ही अपराधी हैं या इन अपराधों के अपराधी वास्तव में वे माता पिता,देश की शिक्षा व्यवस्था, रोजगार व्यवस्था, कानूनी व्यवस्था और शासन संविधान भी हैं? माता- पिता और देश की व्यवस्थाएं बच्चों की पहले तो परवरिश सही नहीं कर पा रहे हैं और उसके बाद उन्हें नोट कमाने की मशीन बनाने के चक्कर में बच्चों के लिव इन रिलेशन और तथाकथित प्रेम संबंधों और शरीर संबंधों को जानकर भी अनदेखा करते हैं और माता पिता उन्हें अरेंज मैरिज की घुट्टी भी पिलाते हैं,लेकिन संस्कार देने के दायित्व को भूल जाते हैं।
देश की सरकार और व्यवस्थाएं बेटियों को स्वतंत्र रूप से अपने पैरों पर खड़े होने को प्रोत्साहित करने की नीति भी घर बिगाड़ नीति सिद्ध हो रही है,क्योंकि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का यह लाभ तो हुआ कि बेटियां रोजगार और तकनीकी क्षेत्रों में बराबर की हिस्सेदारी निभा रही हैं।लेकिन बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ से आगे चलकर अब स्थिति बेटियों से बचाओ के स्तर पर पहुंच गई है।और विधिक विषमताएं स्त्री पक्ष में होने के कारण बेटों को न्याय कम या नहीं ही मिल पा रहा है।इसके अपवाद हो सकते हैं।लेकिन इन परिस्थितियों में युवा पुरुष अब विवाह से कतराने लगे हैं।और अपने पैरों पर खड़ी बेटी भी अब स्वतंत्र ही रहना चाहती है।वह नहीं चाहती कि कोई उसकी स्वतंत्रता का हनन करे और उस पर राज करे।सरकार ने बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा तो दिया।बेटों के साथ बेटियों का व्यवहार कैसा हो,उसके गृहस्थ जीवन का दायित्व क्या है?बेटियों की परिवार के प्रति जिम्मेदारी का कोई पाठ किसी पाठ्यक्रम में नहीं रखा।उसका परिणाम यह है कि अधिकतर बेटियां अच्छा वेतन मिलने की स्थिति में अपने पति को मजदूर की स्थिति में समझने लगती हैं या वे पति की आवश्यकता ही नहीं समझती हैं।
तब क्या शेष रहता है?क्योंकि पुरुषार्थ और पातक,दोनों ही ओर काम अपना प्रबल रूप दिखाता है।कोई भी जीव इस व्यवस्था से बाहर नहीं हो सकता।वासनाऔर कामना जन्म से मृत्यु तक पीछा करती हैं।जिसका परिणाम भारत की व्यभिचार व्यवस्था है।क्या कोई सोच सकता था कि विश्व के सांस्कृतिक अग्रदूत भारत की नई पीढ़ी लिव इन रिलेशन के नाम पर बर्बाद कर दी जा सकेगी। व्यभिचार के लिए न्याय व्यवस्था का समर्थन मिल सकेगा।लेकिन यह सच है कि आज दोनों ही स्थिति हो चली हैं।भारत की विवाह व्यवस्था,जो पूरे संसार को चकित करती थी।सनातन के गहरे विश्वास पर आधारित विवाह व्यवस्था,जिसमें तलाक जैसा कोई शब्द भी नहीं था।जिसमें डोली आती थी और अर्थी के साथ ही बाहर जाती थी,उस जीवंत और दायित्व की प्राकृतिक परंपरा का ह्रास होना किसी बड़े दुर्भाग्य से कम नहीं है।
सनातन की संस्कृति को नष्ट करने में संविधान और सरकारों सहित न्यायपालिका की भूमिका भी संदेह के घेरे में हो सकती है।इस पर गहन चिंतन मनन की आवश्यकता है।विद्वानों को इस पर विचार करना चाहिए और देश को रसातल में जाने से रोकना चाहिए।पश्चिम के अंधानुकरण के कारण देश नष्ट होने के कगार पर है। जिस देश की संस्कृति नष्ट हो जाती है,वह केवलअराजक तत्वों की शरणस्थली बन जाता है।जो समाज में तोड़- फोड़ कर आतंक मचाता है और देश को आसुरी शक्तियों पर निर्भर कर देता है।
क्या भारत के नागरिक,सरकारें और कानून व्यवस्था इस महान विपत्ति से देश के कर्णधारों को बचा सकती हैं?
ये सोनम रघुवंशी है।जिसे पुलिस ने अपने पति की हत्या कराने के अपराध में गिरफ्तार कर लिया है।
इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी है तो क्या जब पहली घटना हुई थी तभी न्यायालय को कड़े तरीके से सज़ा सुनाई जाती तो आज और घटनाएं ना होती एवं किसी भी देश में कोई भी सरकार हो परंतु कानून सब के लिए समान होना चाहिए।
मोदी जी आएं और एक नारा दिया बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ परंतु साथ में यह क्यों नहीं बोला की बेटियों को भारतीय संस्कृति राष्ट्र धर्म की शिक्षा भी दो और फिर आज यह बेटियां उसी जम्बू द्वीप भारत खंडे आर्यावर्त राष्ट्र की है जिस राष्ट्र में मां सती अनसुईया, सती सावित्री, मां सीता जैसी और मां रुक्मणी, राधा जी और भी बहुत सी देवियों के अवतार इस पृथ्वी पर अवतरित हुए सभी ने कुछ ना कुछ संदेश दिया।
बाद में कलयुगआगमन होने पर भी हजारों लाखों करोड़ों मां बहन बेटियों से इतिहास भरा हुआ है और अधिक दूर ना जाते हुए दो सौ साल पहले जब अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया तब भी हमारी मां, बहन, बेटियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।आजादी की लड़ाई में उदहारण रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हज़रत महल आदि ने अग्रणी भूमिका निभाई।
आज जो सनसनी खेज घटना है वह है मेघालय में इंदौर निवासी राजा रघुवंशी की हत्या पत्नी ने ही कर दी,दोनों हनीमून मनाने गए थे।पिछले एक सप्ताह से लोगों को ऐसा लग रहा था कि सुदूर पूर्वोत्तर में हुई ये घटना वहां के अपराधियों ने की।ऐसा लग रहा था जैसे पत्नी सोनम का अपहरण कर लिया गया है और उसके साथ ज़रूर कुछ ग़लत हो रहा होगा।
इस महिला के कारण मेघायलय पुलिस की SIT, SDRF और NDRF समेत कई एजेंसियां 1 सप्ताह तक ख़ाक छानती रहीं।जो लड़की ससुराल वालों से फोन पर व्रत रखने से लेकर सांस फूलने तक की मासूमियत भरी बातें कर रही थी,वो ही हत्यारिन निकली।वो अपने पीछे एक भाड़े का हत्यारा लगा कर गई थी।
परिवार ने बताया कि सोनम रघुवंशी जब अपने हनीमून पर गई तब अपने सारे गहने अपने साथ लेकर गई और अपने घर वालों को यह कही कि वहां वह फोटो शूट करवाएगी।उससे ही किसी का भी माथा ठनक जाएगा कि कोई भी महिला हनीमून मनाने अपने सारे के सारे गहने लेकर नहीं जाएगी।
उसके अलावा सोनम रघुवंशी के अपने बैंक अकाउंट से 9 लाख रुपये निकाले थे।अब सोनम रघुवंशी को गाजीपुर उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया गया है मेघालय पुलिस का कहना है कि सोनम रघुवंशी अपने पति के हत्या में शामिल थी और उसने ही अपने पति के हत्या की सुपारी दी थी।इस मामले में सबसे बड़ा लीड यह मिला कि जब एक होटल वाला और कुछ टूर गाइड नाम मेघालय पुलिस को बताया की अंतिम बार सोनम रघुवंशी से मिलने जो व्यक्ति आए थे वह हिंदी में बात कर रहे थे तभी से मेघालय पुलिस का माथा ठनका गया।मेघालय पुलिस ने इस मामले में बहुत अच्छी जांच किया है।
मैं यह समझ नहीं पाता हूं कि –
अगर किसी लड़की का किसी और से प्यार मोहब्बत या चक्कर चल रहा है तब वह शादी ही क्यों करती है ?
वह क्यों किसी के घर के चिराग को बर्बाद करती है?
क्यों जिंदगी भर पतिहंता का कलंक लेकर या तो जेल में रहती है या समाज में रहती है ?
वह साफ मना कर दे कम से कम उसके माथे पर पति के हत्यारी का कलंक तो नहीं लगेगा।
लेकिन आप यह सोचिए कि यह कितनी शातिर थी जिस खाई में उसके पति का शव मिला वहां अपना जैकेट फेंक दी थी ताकि यह पता चले कि सोनम कु भी यही हत्या हुई है और बाद में इस मामले में बांग्लादेश पुलिस भी जांच में जुड़ गई थी।
अगर ऐसा ही चलता रहा तो लोगों का शादियों पर से विश्वास ही उठ जाएगा।कई बार ऐसा होता है जब मां-बाप को बखूबी पता होता है कि बेटी का किसी से चक्कर चल रहा है, इसके बावजूद किसी अच्छे लड़के से शादी करा दी जाती है। क्योंकि उनकी सोच होती है कि शादी के बाद लड़की ‘सुधर’ जाएगी। वो ये भूल जाते हैं कि ये ज़माना सोशल मीडिया का है,रील्स का है। आजकल सात फेरों की वैसी महत्ता नहीं रही जैसी पहले थी।
विवाह से पहले पूरी तरह जांच-परख करें। संकलित





















