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आग लगी अकाश में झर-झर झरत अंगार….(८)

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प्रिय मित्रों ! धृतराष्ट्र की चाल चरित्र और चेहरे के पीछे छुपे शैतानी दिमाग को पढने में पांडवों की केवल दो पीढियाँ लगी थीं किन्तु -अकबर नामा” को समझने में अर्थात इस्लाम की हकीकत को समझने में हिन्दुओं को अभी और कितनी पीढियाँ लगेंगी ये कहना असम्भव सा दिखता है।

ये इनका चरित्र है कि जब भी वे हिन्दुओं पर हमला करते हैं तो बिलकुल औरंगजेब बन जाती है इनकी भीड़ ! इनकी नजरों में बच्चे बूढे औरतों की बात छोड़ दो आप,ये हैवान तब अपंग, भिखारी और बीमारों में भी हिन्दुओं को तलाश कर उनकी हत्या करते हैं ! मुम्बई बम विस्फोट जैसी अनेक दर्दनाक आतंकवादी घटनाओं के अंतर्गत जब घायलों को हास्पीटल ले जाया गया तो  इन लोगो ने वहां हमला कर घायल स्वास्थ्यकर्मी और डाक्टरों की भी हत्या कर दी।

और यही दुर्गुण इनसे खालिस्तानियों ने भी सीखा है। मैंने सुना था कि दूध का जला छाछ भी फूंक कर पीता है किन्तु दुर्भाग्य से भारत में राजनैतिक विपक्ष में इतनी भी बुद्धि और दूरदृष्टी का अभाव हो चुका है कि बीजेपी को सत्ता से हटाने की कीमत वो भारत को इस्लामिक देश बनाकर भी चुकाने को तैयार है।
मैंने अपने जीवन से एक शिक्षा ली है कि-“समय का पहिया चाहे कितना ही घूम जाये किन्तु संस्कारों का ठहरा रहना ही उचित है” और दुःख इस बात का है कि विपक्ष ने मोदी-विरोध में संस्कारों को ही तिलांजली दे दी। ये सनातन सत्य है कि बीजेपी की सरकार हमेशा नहीं रहेगी ! सरकारें आती-जाती रहती हैं ! भारत में संविधान का शासन है ! जिस सर्वोच्य न्यायपालिका ने ज्ञानवापी सर्वे की याचिका स्वीकार की उसी ने राहुल गांधी को तत्कालीन राहत भी दी ! ये विपक्ष भी जानता है कि -“चुनाव आयोग” भी निष्पक्ष है ! अभी तक-“टी•एन•शेषन•”के द्वारा आरोपित संस्कारों पर चुनाव आयोग विश्वास करता है ! उनका अनुसरण करता है ! हमारे विपक्ष को ये समझना ही होगा कि आज नहीं तो कल ! पांच दस बीस साल बाद ही सही उनकी भी सरकार बनेगी ! किन्तु तबतक भारत रहेगा तब तो बनेगी ?
तबतक वे भारत को भारत रहने देंगे ?  “I.N.D.I.A.शरीफ” बन गया तो सरकार नहीं हुकूमत चलेगी तैमूर लंग की ! कुछ लोग इटली चले जायेंगे ! किन्तु हमारे अन्यान्य हिन्दू विपक्षी नेता कहाँ जायेंगे ?
भारतीय विपक्ष की सोच पर पत्थर पड चुका है ! ममता के पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा ये नहीं दिखता क्यों कि तृमूकां
“I.N.D.I.A.शरीफ” का अंग है ! उनके द्वारा होते राजस्थान और पंजाब के पाप को ममता इसलिए ढांक रही हैं क्यों कि वो जानती हैं कि उनके मुँह खोलते ही कांग्रेस उनको नंगा कर देगी।
और बली अंततः जमीनी कार्यकर्ताओं की होती है ! वैसे ऐसी ही परम्परा चली आ रही है ! प्रत्येक दल की यही कडवी सच्चाई है।
और मित्रों ! आप के पूर्वजों से लेकर आने वाली पीढियों को भी पता है कि ईस्लाम दल नहीं-“दल-दल”है और बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक सभी इसी दल-दल में फंसते जा रहे हैं।कांग्रेस, तृणमूल, सपा,बसपा का तो जमाने का इस्लामीकरण हो चुका ! और उसी से आयातित हुवे माननीय(?) दल-बदलू नेताओं का बीजेपी में प्रवेश तो-“नयी-नवेली” गंगाजल की तरह पवित्र दुल्हन की तरह होता है किन्तु उनके लिये घर के छोटे सदस्यों को दूध से मक्खी की तरह निकाल फेंका जाता है ! बीजेपी को इस परम्परा को तोडना होगा ! मैं बारम्बार कहता हूँ ! अंतःकरण से स्वीकार करता हूँ कि हिन्दुओं की सुरक्षा बीजेपी ही कर सकती है ! बस हमारी बीजेपी और संघ को एकबार आत्म-मंथन की आवश्यकता है।
संघ को भाषायी आधार पर चोला बदलने की आवश्यकता नहीं है ! इतिहास साक्षी है कि संघ ने कभी भी जातिवाद का समर्थन नहीं किया ! संगठन की सजीव विचारधारा है कि-“न हिन्दू पतितो भवेत्”।किन्तु आज की ये सच्चाई है कि जिन स्वयंसेवकों
ने दशकों पूर्व अपने घर-बार छोड़ कर कछार आकर हमें बताया कि हम बंगाली,असमिया,बिहारी,संथाली इसलिए हैं क्यों कि हम हिन्दू हैं-“अनेकता में एकता हिन्दू की विशेषता”है, किन्तु दुर्भाग्य से आज कछार बंगाली होने की राह पर चलते चलते-“बंगाल (बांग्ला देशी मुस्लिमों का गढ)”बन गया और स्थानीय संगठन की बागडोर भी आज कट्टर भाषावादी हांथों में होने से कमजोर होने के कारण बीजेपी के स्थानीय आयातित नेताओं की मनमानी चुपचाप देखने में अपनी भलाई समझती है, सबसे अधिक दुःख और दुर्भाग्य ये है कि ये लोग हम हिंदी भाषियों पर ही कट्टर भाषावादी होने का आरोप लगाते हैं–“आनंद शास्त्री”

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