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भारतीय भाषाओं के उन्नयन और समन्वय के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित भारतीय भाषा समिति द्वारा किए जा रहे सार्थक प्रयास

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हमारे विशेष प्रतिनिधि दिलीप कुमार जी ने पिछले दिनों दिल्ली प्रवास के दौरान भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष आचार्य चमू कृष्ण शास्त्री से मुलाकात की, उनसे बातचीत के आधार पर जो जानकारी प्राप्त हुई, उसका सारांश प्रस्तुत है:

कौन है आचार्य चमू कृष्ण शास्त्री: आचार्य चमू कृष्ण शास्त्री भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष हैं। आप एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् हैं जो भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। आपका प्रारंभिक कार्य संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार, लोगों के संस्कृत संप्रेषण-कौशल को बढ़ाने हेतु आधुनिक शैक्षणिक तकनीकों का विकास और संस्कृत को संप्रेषण की जीवंत भाषा बनाने से जुड़ा रहा। वर्ष 2017 में भारत सरकार के द्वारा उन्हें राष्ट्र की सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने हेतु पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (वर्तमान में शिक्षा मंत्रालय) में वरिष्ठ सलाहकार (भाषा) के रूप में अपनी सेवा प्रदान की।
उन्होंने केंद्रीय संस्कृत बोर्ड, राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग आदि की विभिन्न समितियों में सदस्य के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने वर्ष 2000-2001 को ‘संस्कृत वर्ष’ के रूप में मनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस कार्यक्रम ने संस्कृत के सार्वजनिकीकरण संबंधी अन्य गतिविधियों को भी गति प्रदान की।
उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (वर्तमान में शिक्षा मंत्रालय) में “संस्कृत के विकास हेतु दृष्टि एवं रोड मैप, दस वर्षीय परिप्रेक्ष्य योजना” बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने संस्कृत के संवर्धन एवं संस्कृत की शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार हेतु विभिन्न राज्य सरकारों के साथ भी कार्य किया।

शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय भाषा समिति का गठन कब हुआ: भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार हेतु इस उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा पत्र संख्या 8-46/2021/एल-II के तहत, दिनांक 15 नवंबर 2021 को किया गया। इस समिति का कार्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में परिकल्पित भारतीय भाषाओं के समग्र और बहु-विषयक विकास के मार्गों की सम्यक जानकारी प्राप्त करना एवं उनके क्रियान्वयन की दिशा में सार्थक प्रयास करना है।
समिति को मौजूदा भाषा शिक्षण एवं अनुसंधान को पुनर्जीवित करने और देश में विभिन्न संस्थानों में इसके विस्तार से संबंधित सभी मामलों पर मंत्रालय को परामर्श देने का कार्य भी सौंपा गया है। उच्चाधिकार प्राप्त समिति उसको सौंपे गए कार्यों को करने के लिए उप-समितियों/अध्ययन समूहों की नियुक्ति कर सकती है।
यह केंद्र/राज्य सरकार के शिक्षण, अनुसंधान एवं भाषाओं के विस्तार/संवर्धन से संबंधित किसी भी संस्थान के साथ परस्पर बातचीत एवं समन्वय भी कर सकती है। श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (एस.एल.बी.एस.एन.एस.यू.), नई दिल्ली, उच्च अधिकार प्राप्त समिति को संचालित करने के लिए सचिवीय सहायता और स्थान प्रदान करेगा एवं समय-समय पर भारत सरकार के नियमों, विनियमों तथा निर्देशों के अनुसार संबंधित व्यय की पूर्ति करता है।
विश्वविद्यालय को अल्पकालिक आधार पर सलाहकारों और विशेषज्ञों/विद्वानों/अधिकारियों/युवा पेशेवरों को नियुक्त करने एवं समिति की अनुशंसाओं के अनुसार संगोष्ठी, कार्यशाला, वेबिनार आदि आयोजित करने का कार्य भी सौंपा गया है। प्रासंगिक बजट मदों के तहत विश्वविद्यालय को शिक्षा मंत्रालय द्वारा इसके लिए आवश्यक वित्त प्रदान किया जाता हैं।


भारतीय भाषा समिति का एक परिचय:
शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा भारतीय भाषाओं के संदर्भ में प्रारंभ हुए प्रयास
1. शिक्षा मंत्रालय के अधीन भाषा संस्थानों के सशक्तीकरण के लिए विविध पहल किए जा रहे हैं।, 2. तमिल भाषा के प्रचार के लिए विविध परियोजनाओं को प्रारंभ किया गया है।, 3. भारतीय भाषाओं में भारतीय ज्ञान परंपरा के शोध अध्ययनों को प्रारंभ किया गया है।, 4. पालि एवं प्राकृत भाषा के लिए विशेष योजना निर्मित की गई है।, 5. भारतीय भाषाओं के लिए तकनीकी, भारतीय भाषाओं में तकनीकी, भारतीय भाषाओं द्वारा तकनीकी इस विषय पर भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी समागम’ शीर्षक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है।, 6. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (NCERT) द्वारा 22 भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन का निर्णय लिया गया है।, 7. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा शिक्षण एवं परीक्षा की माध्यम भाषा से संबंधित निर्णय -अ) स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तरों पर स्थानीय भाषा माध्यम से पठन-पाठन प्रक्रिया एवं परीक्षा की जा सकती है। (आ) शिक्षण की माध्यम भाषा कोई भी होने पर भी परीक्षा स्थानीय भाषा में भी लिखी जा सकती है।, 8. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पाठ्यपुस्तक लेखन के लिए प्राध्यापकों से ऑनलाइन पंजीयन द्वारा आशयपत्र आमंत्रित किए जा रहे हैं।, 9.विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्राध्यापकों की प्रोन्नति के संदर्भ में भारतीय भाषा माध्यम पुस्तक लेखन के लिए विशेष अंक / प्रोत्साहन की व्यवस्था बनाई जा रही है। तथा 10. भारतीय भाषा माध्यम से शिक्षा के प्रति उच्च शिक्षा संस्थानों को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद्
(NAAC) के आकलन प्रणाली में अपेक्षित मानदंडों को समाहित किया जा रहा है।

भारतीय भाषा समिति के कार्य: 1. महाकवि सुब्रमण्य भारती जी के जन्म दिवस पर 11 दिसंबर को प्रत्येक वर्ष भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन किया जा रहा है।, 2. नियुक्ति के विज्ञापनों में माध्यम भाषा के विकल्प का उल्लेख करने एवं बहुभाषा ज्ञान को  प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।, 3. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (AICTE) द्वारा भारतीय भाषाओं को लेकर विशेष कार्ययोजना बनाई गई है।, 4. ए.आई. टेक्नोलॉजी से अनुवादिनी’ नाम के ट्रान्सलेशन टूल का संवर्धन किया जा रहा है।, 5. ‘भारतीय भाषा परिवार’ के संकल्पना की नई व्याख्या तथा इसके प्रसार के लिए कार्यशालाओं एवं संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है।, 6. ‘त्रिभाषा सूत्र’ में विद्यमान समस्याओं का प्रभावी समाधान राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFSE-2023) के माध्यम से किया गया है।, 7. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा इसके मान्यता प्राप्त विद्यालयों में स्थानीय भाषा माध्यम से शिक्षा के विकल्प का प्रावधान भी किया गया है।, 8. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा 1500 पाठ्यपुस्तकें भारतीय भाषाओं में प्रकाशित करने के लिए योजना चल रही है।, 9. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा भारतीय भाषाओं में पाठ्यसामग्री लेखन के प्रति 1000 विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों का अभिमुखिकरण नोडल विश्वविद्यालयों/मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (UGC-MMTTC) के माध्यम से करने के लिए योजना बनाई गई है। एवं 10. भारत में शिक्षा के हर स्तर पर पढ़ाये जानेवाले सभी पाठ्यक्रमों की पाठ्यपुस्तकें / पठनसामग्री को 22 भारतीय भाषाओं में डिजिटल मोड में तीन साल के अंदर अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है।

वर्ष 2024 25 के लिए कार्य योजना : 1.शिक्षा के हर स्तर पर पढ़ाये जानेवाले सभी पाठ्यक्रमों की पाठ्यपुस्तकों/अध्ययन सामग्रियों को भारतीय भाषा माध्यम में डिजिटल मोड द्वारा सुनिश्चित उपलब्धता कराने के लिए कार्ययोजना, 2. भारतीय भाषाओं में ज्ञान सामग्री के तत्क्षण अनुवाद के लिए भारतीय भाषा पारिस्थितिकी के निर्माण के लिए कार्ययोजना, 3. भारत की 1369 मातृभाषाओं/भाषाओं से संबंधित वक्ताओं को एकत्र करके एकता में विविधता और विविधता में आत्मीयता का उत्सव मनाने और भाषाई सद्भाव को मजबूत करने के लिए प्रत्येक राज्य में ‘भाषा संगम’ कार्यक्रम का आयोजन, 4. छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के बीच बहुभाषिकता को बढ़ावा देने के लिए विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों में ‘भारतीय भाषा उत्सव’ का आयोजन, 5. भाषा संस्थानों के पुनरोद्धार के लिए कार्ययोजना, 6. भारतीय भाषाओं को ‘आकाक्षी’ बनाने के लिए कार्ययोजना, 7. भारतीय भाषाओं में एक सार्वभौमिक समान शब्दावली को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम, 8.भारतीय भाषाओं के लिए/ भारतीय भाषाओं में/ भारतीय भाषाओं के माध्यम से प्रौद्योगिकी के विकास सबंधित कार्यक्रम, 9. प्रत्येक राज्य में 8वीं अनुसूची की भाषाओं के अध्यापन एवं अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम, 10. भारतीय भाषा परिवार की अवधारणा के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यक्रम।

भारतीय भाषा समिति के सामने अंग्रेजी से निपटने की चुनौती तो है ही, उससे बड़ी चुनौती है भारतीय भाषाओं में समन्वय स्थापित करना। महान कवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती के दिन 11 दिसंबर को पूरे देश भर में भारतीय भाषा दिवस मनाने की योजना बनाई गई है। शास्त्री जी ने बताया कि आईटी मंत्रालय के अंतर्गत CDAC ने डॉ पुष्पक भट्टाचार्य के नेतृत्व में इंडियन लैंग्वेज स्टैंडर्ड समिति का गठन किया है जो कंप्यूटर के लिए स्टैंडर्ड कीबोर्ड बनाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर करने के लिए भारतीय भाषाओं को सक्षम बनाने का काम किया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन से अगले 20 साल में भारतीय भाषाओं के पुनरुत्थान का काम किया जाएगा।

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