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आज़ादी के अमृत काल का अविस्मरणीय मोती !!!

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1986 में दिसंबर के महीने में ऋषिकेश में एक खाई से एक अनाथ शव मिला जो पूरी तरह सड़ चुका था काफी पता करने पर पता चला कि वो एक महान देश भक्त बीनादास है,जो कलकत्ता विश्वविद्यालय की छात्रा थी
ये वही बिनादास थी जिन्होंने बंगाल के गवर्नर जैक्सन पर गोली चलाई थी जो बहुत घटिया ब्रिटिश अधिकारी था इसके बाद बिनादास को गिरफ्तार कर के 9 सालों के लिए जेल भेज दिया,और लगभग 9 सालों बाद उन्हें रिहा किया गया था |
रिहाई के तुरंत बाद दास 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और फिर उन्हें गिरफ्तार कर के  1942 से 1945 तक जेल भेज दिया गया |
उन्होंने 1947 में स्वतंत्रता सेनानी ज्योतिष भौमिक से शादी की,लेकिन आज़ादी की लड़ाई में भाग लेती रही | अपने पति की मृत्यु के बाद वे कलकत्ता छोड़कर, जमाने की नजरों से दूर ऋषिकेश के एक छोटे से आश्रम में जाकर रहने लगी अपना गुजारा करने के लिए  बच्चो को ट्यूशन पढ़ाती थी और एक प्राइवेट स्कूल में 25 रुपए की नौकरी भी करती थी पर उहोंने सरकार द्वारा दी जाने वाली स्वतंत्रता सेनानी पेंशन को लेने से इंकार कर दिया |
हम लोगो को शर्म आनी चाहिए कि देश के लिए खुद को समर्पित कर देने वाली इस वीरांगना का अंत बहुत ही दुखदपूर्ण था | महान स्वतंत्रता सेनानी,प्रोफेसर सत्यव्रत घोष ने अपने एक लेख ,
“फ्लैश बैक: बिना दास — रीबोर्न” में उनकी मार्मिक मृत्यु के बारे में लिखा है |
उन्होने कहां,
“उन्होंने सड़क के किनारे अपना जीवन समाप्त किया |
उनका मृत शरीर बहुत ही छिन्न भिन्न अवस्था में था |
रास्ते से गुजरने वाले लोगों को उनका शव मिला |पुलिस को सूचित किया गया और महीनो की तलाश के बाद पता चला कि यह शव बिनादास का है | यह सब उसी आज़ाद भारत में हुआ जिसके लिए इस अग्नि – कन्या ने अपना सब कुछ ताक पर रख दिया था| देश को इस मार्मिक कहानी को याद रखते हुए ,देर से ही सही, लेकिन अपनी इस महान स्वतंत्रता सेनानी को सलाम करना चाहिए |”
साभार

 

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