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आजादी का अमृत महोत्सव-(१)

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स्वतंत्रता देवत्व की कसौटी है और अमृतपान का अधिकार केवल देवताओं को ही होता है ! ये निश्चित है कि देवताओं की आँखों में धूल झोंक कर अगर किसी ने धोखे से अमृत पी भी लिया तो उसकी गति-“राहू-केतू” की तरह होती है किन्तु उनकी जन्मजात वक्र दृष्टि के शिकार-“सूर्य-चन्द्र” होने को अभिशप्त हो ही जाते हैं। आज समूचा देश आजादी की पचहत्तरवीं वर्षगांठ अर्थात-“आजादी का अमृत महोत्सव” मना रहा है ! किन्तु दुर्भाग्य से एक और भी देश है जहाँ  आज-“बर्बादी की पचहत्तरवीं वर्षगांठ” अत्यंत ही मातम से मनायी जा रही है।
आदरणीय मित्रों ! आज जहाँ भारत में-“भेल,सेल,गेल,बेल, आइईएक्स,पावर ग्रिड,एनटीपीसी,रिलायंस,मझगांव डाक, कोचीन शिपयार्ड,डनलप,अपोलो,अडानी ग्रूप,अंबानी,टाटा, एचएएल,बिरला जैसी हजारों सरकारी एवं प्राइवेट कम्पनियों के मुरीद कल के विकसित कहे जाने वाले देश हो चुके हैं ! जब समूची दुनिया में मंहगाई और बेरोजगारी चरमोत्कर्ष पर है ! तब भारतीय अर्थ व्यवस्था नित्यप्रति दिन नये-नये आयाम गढते दिखती है।
जो भारत कभी अमेरिका में फेंके जाने वाले लाल गेहूं का उनकी मनमानी कीमत पर आयात कर अपनी भूख मिटाने के लिए जाना जाता था ! आज के नये भारत द्वारा चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाते ही अमेरिका,फ्रांस,ब्रिटेन जैसे देशों में जनता चावल के लिये सडकों पर आ गयी।
एक छोटे से आतंकवादियों के हूजुम से जब पेरिस जल जाता है ! अफगानिस्तान-यूक्रेन जैसे छोटे से देशों के सामने जब अमेरिका और रूस के साथ-साथ पूरा यूरोप घुटनों पर आ जाता है ! जब विश्व की अर्थव्यवस्था एक युद्ध से ध्वस्त हो जाती है ! तो भारत की ये शक्ति है कि पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े करने के बाद आज हम -“चीन” की आँखें निकालने में सक्षम हो चुके।
आज हमारी जनसंख्या लगभग १४० करोड़ होने के पश्चात भी भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग ४५ हजार अरब डाॅलर के साथ विश्व में पांचवें नम्बर पर आ चुकी है वहीं पाकिस्तान की अर्थी चौरालिसवें स्थान पर आकर दफन होने को तैयार है।
आपके लिये ये आश्चर्यजनक एवं गर्व का विषय है कि पूरी दुनिया से लेकर अंतरिक्ष तक अपने-आप को मानवाधिकार का ठेकेदार मानने वाले अमेरिका में नियत मानदण्डों के होने पर ही मतदान का अधिकार है किन्तु भारतीय संविधान सभी वयस्क नागरिकों को एकसमान मतदान का अधिकार देता है ! विश्व में ऐसा कोई भी देश नहीं जिसने इतनी तीव्र गति से उन्नति की हो एवं विश्व में पाकिस्तान जैसा कोई देश नहीं है जिसकी इतनी छोटी अवधि में इतनी तीव्र गति से दुर्गति हुयी हो।
१९४७ से ही अनेक युद्धों को झेलने के बाद भी आज भारत समूचे विश्व का मार्गदर्शन करने को अग्रसर है ! जहाँ यूक्रेन युद्ध में हमने जितनी सरलता से निर्लिप्त रहने का निर्णय लेकर अपनी सर्वश्रेष्ठ विचारधारा प्रमाणित कर दी नहीं दूसरी ओर दुनिया के सभी देश अपने हांथों को झुलसा बैठे।
कोरोना काल में इतनी भयावह स्थितियों के होने के बाद भी, विपक्ष के अंतर्घातों को झेलते हुए भी यह कीर्तिमान हमने स्थापित किया कि प्रतिशतांक की दृष्टि से हमने सबसे अधिक स्वास्थ्य सुविधायें देने के साथ-साथ विश्व में सबसे अधिक वैक्सीन निर्माण और वितरण के कार्य को कुशलता एवं तीव्रता से सम्पन्न किया।रक्षा उपकरण,विमानन पद्धति,आइटी,गैस, उर्जा,इंजीनियरिंग, डायनोमेटिक्स,शिक्षा,चिकित्सा,वाहन निर्माण ,अंतरिक्ष अनुसंधान,औषधि निर्माण,अन्न,भण्डारण आदि आदि
लगभग सभी क्षेत्रों में हम आत्मनिर्भर हो चुके ! समूचे विश्व के व्यापारियों हेतु पहले भारत अपने उत्पाद बेचने का स्थान था ! और आज इसके बिलकुल ही विपरीत आज का भारत उनके लिये आयात और निर्माण का केन्द्र बनता जा रहा है ! और यूक्रेन युद्ध में भारत की विदेश नीति की अभूतपूर्व सफलता ने विश्व के सभी व्यापारियों को ये स्पष्ट संदेश दिया है कि उनकी कंपनी और पूंजी यदि भारत में निवेशित रहती है तो सर्वाधिक सुरक्षित रहेगी।
प्रिय मित्रों ! आजादी के अमृत महोत्सव पर बस एक ही बात दिल को चुभती है कि हमारे पडोसी-“मित्र” हैं और हमें भी आस्तीन के सांपों को अपने घर में पालने और रखने की मजबूरी है ! ईसा और मूसा वही राहू-केतू हैं जो बार-बार हमारे चन्द्रमा अर्थात दिल को और सूर्य अर्थात हमारे दिमाग को डंसते हैं। मैं विश्वास करता हूँ कि इसी महोत्सव के अंतर्गत समान नागरिक संहिता बिल के पारित होने से इस संदर्भ में भी आने वाले कल के भारत में सकारात्मक परिवर्तन दिखेंगे–“आनंद शास्त्री”

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