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आज ही शुरुआत करें, पति-पत्नी मिलकर परिवार नियोजन की बात करें- मुकेश कुमार शर्मा 

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पूरी तरह सुरक्षित व आसान है पुरुष नसबंदी, परिवार पूरा होने पर जरूर अपनाएं
लखनऊ, 21 नवम्बर। शारीरिक बनावट के मुताबिक़ पुरुष नसबंदी बेहद सरल और पूरी तरह सुरक्षित है। इसमें महज कुछ मिनट लगते हैं। नसबंदी के दो-तीन दिन बाद पुरुष अपने काम पर भी आराम से जा सकते हैं। इसलिए पुरुष यह न सोचें कि परिवार नियोजन या परिवार की सेहत का ख्याल रखना सिर्फ और सिर्फ महिलाओं का काम है। इसमें वह भी बराबर की जिम्मेदारी निभाएं और महिलाओं व बच्चों को स्वस्थ व खुशहाल बनाने में भागीदार बनें। समुदाय तक इस सन्देश को पहुँचाने और परिवार कल्याण कार्यक्रमों में पुरुषों की सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से ही 21 नवम्बर से चार दिसम्बर तक पुरुष नसबंदी (एनएसवी) पखवारा मनाया जा रहा है। इस पखवारे की थीम है- “आज ही शुरुआत करें, पति-पत्नी मिलकर परिवार नियोजन की बात करें।“
 पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल-इंडिया (पीएसआई-इंडिया) के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर मुकेश कुमार शर्मा का कहना है कि पुरुष नसबंदी पखवारा दो चरणों में मनाया जाएगा। पहले चरण में 21 से 27 नवम्बर तक जनजागरूकता, तैयारियों और लाभार्थियों को चिन्हित करने (मोबिलाइजेशन चरण) पर जोर रहेगा और दूसरे चरण में 28 नवम्बर से चार दिसम्बर तक सेवा प्रदायगी चरण के तहत एनएसवी की सेवा विशेष तौर पर प्रदान की जाएगी। इसके लिए जनपद से लेकर ब्लाक स्तर तक हर जरूरी प्रबंध किए गए हैं। अभियान के तहत जन-जन तक यह सन्देश पहुँचाया जा रहा है कि नवविवाहित को पहले बच्चे की योजना शादी के कम से कम दो साल बाद ही बनानी चाहिए ताकि इस दौरान पति-पत्नी एक दूसरे को अच्छी तरह से समझ सकें और बच्चे के बेहतर लालन-पालन के लिए कुछ पूँजी भी जुटा लें। इसके अलावा मातृ एवं शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिहाज से भी दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर अवश्य रखना चाहिए। उससे पहले दूसरे गर्भ को धारण करने योग्य महिला का शरीर नहीं बन पाता और पहले बच्चे के उचित पोषण और स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह बहुत जरूरी होता है। इसके लिए सरकार ने गर्भनिरोधक साधनों की बास्केट यानि “बास्केट ऑफ़ च्वाइस” का प्रबंध किया है, जिससे अपने मनमुताबिक़ साधन चुनकर अपनी सुविधा के हिसाब से परिवार का प्लान बड़ी आसानी से कर सकते हैं। बास्केट ऑफ़ च्वाइस की मौजूदगी के बाद भी अनचाहे गर्भधारण की स्थिति किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं प्रतीत होती। इसके अलावा जल्दी-जल्दी गर्भधारण करना मातृ एवं शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी सही नहीं होता। इस तरह गर्भ निरोधक साधनों को अपनाकर जहाँ महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है वहीँ मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है। स्वास्थ्य केन्द्रों पर परिवार नियोजन किट (कंडोम बॉक्स) की भी व्यवस्था की गयी है ताकि पुरुषों को बिना झिझक वहां से कंडोम या अन्य परिवार नियोजन के साधन प्राप्त करने में आसानी हो। इसमें कंडोम के साथ प्रेगनेंसी चेकअप किट और आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों को भी शामिल किया गया है।

मुकेश कुमार शर्मा

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