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हे समाज वर्षों से तुमने आदर्श नारी की
मांग बुलंद की
पर तुमने आदर्श पुरुष नहीं माँगा
राम और कृष्ण को तुमने भगवान् बना
मंदिर में बिठा दिया
मगर उनके अवतार में दिखाये गए
आदर्श पुरुष की भूमिका को गये भूल
हर आदर्श नारी को चाहिए होता है
एक आदर्श पुरुष तुम ये भी गये भूल
रावण की चिता आज भी जलती है
पूछती है प्रश्न तुमसे
क्या मेरा उदाहरण भी तुम गये भूल
अपनाकर मेरा ही चरित्र
क्या तुम नहीं हो अब समाज में शूल?
डॉ मधुछन्दा चक्रवर्ती
गवर्नमेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज के आर पुरम, बैंगलोर