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तो भाई लोगों इब आपणां समाज मांय कठिणे भी नजर गेरो चारुंमेर दिखाओ अर अप संस्कार ही भर्या पड़्या दिखे है.अठे तक कि कोई की मौत हो जाणे पर बैठक,जिकी न कुछ लोग शोक सभा भी बोले है,भोत ही ताम झाम से आयोजित होवे लागी.चूंकि ग्यारहवीं के पहली आगले को घर ही अशुद्ध र वे तो उनाके घर को खाणो पीणो नहीं चाईये तो भी आणियां खातिर भांति भांति को पेय दियो जावे लाग्यो, शोक की तो कोई बात ही कोनी,पण हां साधारण हांसी ठट्ठा अर एक तरह की मेल मिलाप की (Get togather)की जिंगा बणगी।
जे बैठक कई दिन की होवे तो रोजिना शाम की नास्तों पाणी की व्यवस्था,बानगी की कम से कम एक आईटम तो ईसी जकी मृतक न पसंद आया करती थी,भले ही मरणीयो विचारों तरसतो ही रग्यो होवे.आपणे संस्था घणी है पण समाज सुधार की सोच दिखे कोनी, समाज कठे जारियों है, भगवान् ही मालिक है.कोई न म्हारी लिखेड़ी खटके तो छिमा करोगा,म्हे कुण हां कुछ भी बोलने हाला।
ईतणो ही नहीं मृत्यु भोज न उठाणे की जिंगा,बत्तीस भांति का व्यंजन बणे ताकि लोग कवे कि फलाणो तो खरचो दिल खोलकर कर्यो है,ल्योजी भाई रसोई बणवायो है,खर्च भोत ही जोरदार कर्यो है,भले ही जीवतां न रोटी का टूकड़ा भी ठीक सूं मूंडे आगे कोनी पटक्या होसी।
तो भाईयों सको जठे तक कुरितियां जो आज अपनाई गई है अर अपनाई जा रही है उनको सुधार करो वरना फेर भगवान् ही मालिक है।
अवसर मिलने सूं ओजूं मिलांगा.
जै राम जी.
मुरारी केडिया 9435033060.