फॉलो करें

आपणो मारवाड़ी समाज कठे जारियो है?                     (लीकलकोटीया नं.2.)

83 Views
मीनू डीनर को,प्लेट छोटी सी, अर आईटम परात का
भाईयों मं जाणूं हूं कि आपणे समाज क बारे मं मेरो लिखणो आपणे समाज क लोगां न चोखो कोनी लागे पण फेरुं भी लिखूं हूं, समाज न सुधारणे की हिम्मत कोनी पण समाज सुधारक एवं सिरमोर कुव्हाणीयां की गाली सुणने लिखूं हूं समाज क नेता लोगां की गाली….. सुनने को लिए.
अठीणे आं दिनां मांय बड़ी मुश्किल सूं जोगाड़ बिठाकर शहर सूं दूर एक रिसॉर्ट मं, सप्ताह भर क रासनखर्च का पिसा एक टैक्सी हाले न देकर,जीमण खातिर गयो.आश लगा राखी थी कि मिलनी का चार चांदी का जूता मिलेगा अर कुछ तो खरचो मेकअप होवेगो पण देरी होगी पूंचणे मं अर म्हे मूंड़ो लटकाया रहग्या.
इतणे मं एक भायो आयो अर बुको फाड़कर बोल्यों,अरे अंकल (अंकल को जी तो चलतो रयो) ठंडा पीने की व्यवस्था इधर बड़े कमरे में है.भाईजी आणे के बाद एक गिलास पाणी भी कोनी मिल्यो सो लपक लियो,जा धम्क्यो बड़े कमरा मांय.तबियत उछले लागी,आज पेलीपोत मोक्यो लाग्यो है .इतणे मं एक भायो आयो अर बोल्यो Sir,what drink you would like to have ,would you like any company while you drink? मं बोल्यो भाया किसी कच्चे की पार्टनरशीप डीड बणाणी है ?,म्हे तो बस गलो तर करणे आया हां अर म्हाने याद आएगी दो लाईन…
“यम ले चलता है मुझको तो चलने दे लेकर हाला
साथ लिये शाकी को मेरे लेकर कर में प्याला “
इब रिफरेशमेंट यानी हाई टी कानी गया देखणे खातिर कि कांयी है?माथों चक्कर खावे लागो, बत्तीस भांति का छत्तीस ब्यंजन.सोचे लागो कि हाई टी मं ये हाल है तो डीनर मं के होसी?
डीनर की टेम भी होगी,चालो जीवड़ा जीमल्यो.खाणों खा बा कानी गया,डीनर प्लेट उठाकर घूम घूम कर निरखे लाग्या,कोई अस्सी पिच्चासी बानगी तो जरुर होसी.सोचे लागो एक एक पीस भी लेवां तो बडोड़ी परात या खूमचा चहिए अर खूमचा पकड़ कर सम्भालणे भी एक आदमी चहिए.
समस्या होगी चिंता मं पड़गयो,सोचे लागो कि बीस पच्चीस कौर भी मुश्किल सूं खावां हां, जूठन ज्यादा गिरसी.चिंता मं थो कि एक भायो मने समझायो कि जूठन गिरे तो गिरसी केटरर तो प्लेट गिणसी अर सुबह पोरसभा की गाड़ी आणे पेली कांगला लोग उठाकर सिफा कर देगा,बापड़ा खावेगा. इब बैठ कर खाणे की demand,supply,consumption plus utilisation की सोच देखकर सिर पीट लियो कि किंयां किंयां
अन्न एवं धन बर्बाद कर्यों जावे है,माथे पर जिरासो भी बल की रेखा नहीं है.माता लक्ष्मी अर माता अन्नपूर्णा को निरादर कर्यो जा रह्यो है.
नहीं सुधरोगा,तो लोग,टेम अर दिन सब सुधार देगा सोई इस तरह की संस्कारहीनता नहीं होनी चहिए अगर होवे तो विवाह मं जावो वर वधू न आशीश देवो पण खाणे की प्लेट भूल से भी ना उठाओ,म्हेतो या ही किया अर बिन खाणो खायां ही वापस हो लिया.
सारे गेले सोचे हो कि देखता जाओ कि  होणे  हालो आगामी आपणो सम्मेलन इस बाबत कोई ठोस कदम उठावे है या फिर वही चाल बेढंगी जो पहले थी वो अब भी है,वही ढ़ाकी के तीन पात हैं.
समाज की धूल धूसरित मर्यादा को सुधारने हेतु क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं हमारे आगामी सम्मेलन में.आगे आगे देखिए होता है क्या.
मुरारी केडिया 9435033060.

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Manila
+30°C
Broken cloud sky
Weather Data Source: sharpweather.com

राशिफल