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आपणो मारवाड़ी समाज कठे जा रियो है — लीकलकोटीया नं.3

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दिखाओ ही दिखाओ.
आपणे समाज में हर मौका की खुशी को माप है कि घर हाला कियां उछाले है,कित्ता उछाले है, अर कियां कियां….
इब टाबर को जिनमणो ही क्यूं न लेल्यो.समाचार देतां ही अगला पेलीपोत पूछे कि कुणसे अस्पताल में होयो है?यदि हल्को मुल्कों या सरकारी अस्पताल है तो जच्चा-बच्चा के बारे में पूछणे को तरीकों अलग है अर यदि हाई स्टैंडर्ड या तीन सितारा पांच सितारा ( खर्चा मांय) है तो ओहो हो हो समाचार पूछणे को तरीकों ही अलग है, सकसी जठे तांणी जाकर देखसी, केवणे को मितलब है कि हर जिंगा पिसा को ही मापदंड है, मिनखां को कोनी.
इब बारी आवे आपसरी हालांके मिठाई भेजणे की. तो भाईसाहब सोने सूं ज्यादा घड़ाई,कपड़े सूं ज्यादा सिलाई हाली स्थिति ही ज्यादा सही बेठे है.आठ दस रसगुल्ला या लाडू का पेकिंग डेकोरेशन खर्च रु.150-200 सूं लेकर पांच,सात सौ,हजार तक.मतलब जितणों कीमती डेकोरेशन बितणी ही थारी वाह वाही.अगर टाबर छोरियां बेटी बहू शौक सूं बणाकर भेजे तो कोई खास शाबाशी कोनी.यानि अठे भी दिखाओ ही दिखाओ है, ईंलिये फिजुल खरची ने ही शाबाशी है.
इब आओ न्हाण की पार्टी पर. अठे भी पिसा ही महत्व राखे है.
पार्टी कठे है? कोई भवन मं,कोई होटल में,होटल को स्टैंडर्ड साधारण या हाई फाई, थ्री स्टार या बिसूं भी ऊपर या फेर कोई रिसॉर्ट मं.आपणे जाणो या नहीं जाणों,टाबर को लिफाफों कित्ता को देणों,सब कुछ स्टैंडर्ड अर दिखावे पर ही निर्भर करे है.
सब कुछ न्हाण पर निर्भर कोनी करें, पर निर्भर करे है,किने बुलावे है,कठे बुलावे है,साधन के है अरे हां यों भी देखो है कि ड्रेस कोड भी है के ?कहने को मतलब थाने नहीं,थारी हैसियत न बुलावे है.
अब सोच ल्यो आपणे समाज को के ढ़र्रो है,कठे जासी, भगवान् ही मालिक है.ये सब बैल न बुलावो है कि आ बैल मुझे मार.तो फेर मार पड़े जणां रोवो क्यूं .आपणा लखण ही …………
सुधार नहीं होणे को सबसूं बड़ो कारण ही आपणे समाज का  समर्थ और अग्रणी कुह्वाणेवाला लोग है जिका कुछ न कुछ फिड़को करता र वे अर बीचला पीसता रहे,निचला को तो के कहूं? भगवान् चलावे है.
जब तक समाज का लोगां मं अहम् बदलकर वयम् नहीं बणेगो तब तक बस फोटूवां खिंचती रहेगी,कागद मं छपती रहेगी Breaking news बणती रहेगी, समाज आगे बढ़तो रहेगो, उन्नति की ओर नहीं, आगे बढ़तो रहेगो मानसिक पतन की ओर. देखता रहो सामाने आणे हालो सम्मेलन के रास्तो बतावे.
मुरारी केडिया 9435033060.
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आपणों मारवाड़ी समाज कठे जारियो है
            लीकलकोटीया नं.4.
मृतक का बारहवां और मृत्य भोज —
तो भाई लोगों इब आपणां समाज मांय कठिणे भी नजर गेरो चारुंमेर दिखाओ अर अप संस्कार ही भर्या पड़्या दिखे है.अठे तक कि कोई की मौत हो जाणे पर बैठक,जिकी न कुछ लोग शोक सभा भी बोले है,भोत ही ताम झाम से आयोजित होवे लागी.चूंकि ग्यारहवीं के पहली आगले को घर ही अशुद्ध र वे तो उनाके घर को खाणो पीणो नहीं चाईये तो भी आणियां खातिर भांति भांति को पेय दियो जावे लाग्यो, शोक की तो कोई बात ही कोनी,पण हां साधारण हांसी ठट्ठा अर एक तरह की मेल मिलाप की (Get togather)की जिंगा बणगी.
जे बैठक कई दिन की होवे तो रोजिना शाम की नास्तों पाणी की व्यवस्था,बानगी की कम से कम एक आईटम तो ईसी  जकी मृतक न पसंद आया करती थी,भले ही मरणीयो विचारों तरसतो ही रग्यो होवे.आपणे संस्था घणी है पण समाज सुधार की सोच दिखे कोनी, समाज कठे जारियों है, भगवान् ही मालिक है.कोई न म्हारी लिखेड़ी खटके तो छिमा करोगा,म्हे कुण हां कुछ भी बोलने हाला.
ईतणो ही नहीं मृत्यु भोज न उठाणे की जिंगा,बत्तीस भांति का व्यंजन बणे ताकि लोग कवे कि फलाणो तो खरचो  दिल खोलकर कर्यो है,ल्योजी भाई रसोई बणवायो है,खर्च भोत ही जोरदार कर्यो है,भले ही जीवतां न रोटी का टूकड़ा भी ठीक सूं मूंडे आगे कोनी पटक्या होसी.
तो भाईयों सको जठे तक कुरितियां जो आज अपनाई गई है अर अपनाई जा रही है उनको सुधार करो वरना फेर भगवान् ही मालिक है.
अवसर मिलने सूं ओजूं मिलांगा.
जै राम जी.
मुरारी केडिया 9435033060.

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