नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर लगातार सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इस पूरे मामले की सुनवाई कर रही है. इसी कड़ी में गुरुवार को भी सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने में अगर कोई संवैधानिक उल्लंघन हुआ है तो अदालत के पास इसकी समीक्षा का अधिकार है.
इसके अलावा संविधान पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि मामले में केंद्र सरकार के विवेक की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है. सुनवाई के दौरान सीजआई के नेतृत्व में बनी संविधान पीठ ने गुरुवार को याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे से पूछा, क्या आप अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के सरकार के फैसले की समझदारी की समीक्षा करने के लिए अदालत को आमांत्रित कर रहे हैं? आप कह रहे हैं कि सरकार के फैसले के आधार का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए कि अनुच्छेद 370 को जारी रखना राष्ट्रीय हित में नहीं था?
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी पार्टी ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में सर्वश्रेष्ठ वकीलों को नियुक्त किया है. इसके साथ ही उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि न्यायाधीश उनके तर्कों से सहमत होंगे. उन्होंने कहा, ‘हम लड़ रहे हैं और हम न्याय की उम्मीद को लेकर वहां गये हैं। हमने कोई कसर नहीं छोड़ी है, हमने सर्वश्रेष्ठ वकीलों को नियुक्त किया और उनके प्रदर्शन की सभी ने सराहना की है। सुनवाई चल रही है और हमें उम्मीद है कि न्यायाधीश हमारे तर्कों से सहमत होंगे। यह चलता रहेगा और हम इंतजार कर रहे हैं.’