शिलचर, 15 जुलाई 2025 — शिलचर-गुवाहाटी हवाई मार्ग पर लगातार बढ़ती किराया दर और सस्ती विमान सेवा की अनुपलब्धता को लेकर शिलचर के वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मानंद देव ने केंद्र सरकार, नागर विमानन मंत्रालय, एयर इंडिया और निजी विमान सेवा कंपनी इंडिगो को चार पन्नों का कड़ा कानूनी नोटिस भेजा है।
इस नोटिस में उन्होंने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है कि बराक घाटी के लाखों नागरिकों को हवाई यात्रा के बुनियादी और न्यायोचित अधिकार से वंचित किया जा रहा है और यह स्थिति अब और अधिक सहन नहीं की जा सकती। अधिवक्ता धर्मानंद देव ने चेतावनी दी है कि यदि सात दिनों के भीतर उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे इस मुद्दे को लेकर गुवाहाटी उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (PIL) दायर करेंगे।
धर्मानंद देव ने नोटिस में बताया कि शिलचर हवाई अड्डा देश के 45वें सबसे व्यस्त एयरपोर्टों में एक है, फिर भी यहां केवल एक निजी विमान कंपनी, इंडिगो, का एकाधिकार कायम है। शिलचर से गुवाहाटी और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों के लिए किराया 10,000 से 15,000 रुपये तक पहुँच रहा है, जो आम यात्रियों की पहुंच से बाहर है।
उदाहरण देते हुए उन्होंने लिखा है कि शिलचर से कोलकाता की दूरी लगभग 513 किलोमीटर है, लेकिन टिकट का मूल्य 10,000-15,000 रुपये तक होता है। वहीं दूसरी ओर, अगरतला से कोलकाता की दूरी मात्र 327 किलोमीटर होने के बावजूद इंडिगो वहां से 4,000 रुपये में टिकट उपलब्ध कराता है। इसी प्रकार, शिलचर-गुवाहाटी की दूरी केवल 192 किलोमीटर है और यात्रा में महज़ 50 मिनट लगते हैं, फिर भी किराया बेहद ऊँचा है। जबकि अगरतला-गुवाहाटी रूट पर समान दूरी और समय के बावजूद टिकट मात्र 1,800 से 2,500 रुपये में उपलब्ध है।
धर्मानंद देव ने इस भेदभावपूर्ण किराया नीति को “एकाधिकार, प्रतिस्पर्धा का उल्लंघन और जनविरोधी शोषण” करार दिया है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकारी एयर इंडिया द्वारा बिना पूर्व सूचना के शिलचर से अपनी सेवा अचानक क्यों बंद कर दी गई, जिससे इंडिगो को खुला मैदान मिल गया है और वह मनमानी तरीके से किराया तय कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि विमानन नियामक संस्था, नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA), को किराया नियंत्रण की जिम्मेदारी सौंपी गई है, परंतु शिलचर के मामले में उनकी निष्क्रियता दर्शाती है कि प्रशासनिक स्तर पर भी उदासीनता बरती जा रही है।
धर्मानंद देव ने सरकार से मांग की है कि:
- शिलचर-गुवाहाटी रूट पर किराया तुरंत तार्किक और किफायती दर पर तय किया जाए।
- शिलचर को ‘उड़ान’ (UDAN) योजना के तहत शामिल किया जाए।
- यात्रियों पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क जैसे डेवलपमेंट फीस और सिक्योरिटी चार्ज में कटौती की जाए।
धर्मानंद देव ने अपने नोटिस में यह भी स्पष्ट किया है कि यह कदम उन्होंने पूरी तरह से निजी और पेशेवर जिम्मेदारी के तहत उठाया है, लेकिन यह बराक घाटी के लोगों के लंबे समय से चले आ रहे हक की लड़ाई भी है।
यह नोटिस महज एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि बराक घाटी के लोगों की आवाज़ है, जो सस्ती और न्यायसंगत विमान सेवा की मांग कर रही है। एक ओर जहाँ वह एक जिम्मेदार अधिवक्ता हैं, वहीं दूसरी ओर वह एक जागरूक नागरिक के रूप में पूरे क्षेत्र के हित में आवाज़ उठा रहे हैं। यह संघर्ष अब सिर्फ यात्रा सुविधा का नहीं, बल्कि क्षेत्रीय समानता और सामाजिक न्याय का भी है।





















