प्रे. सं., शिलचर, 25 मार्च: लोक संघर्ष समिति ने गणतंत्र विजय दिवस को धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर शुक्रवार को नरसिंहपुर स्थित एक समारोह भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें समिति के कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कনक कुमार नाथ ने की।
इस ऐतिहासिक दिवस के महत्व और पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ समाजसेवी दुधनाथ रविदास और नित्यभूषण दे ने कहा कि 21 मार्च 1977 को देशभर में हुए तीव्र जनआंदोलन के दबाव में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार को ‘आपातकाल’ जैसे काले कानून को हटाने के लिए विवश होना पड़ा था। तभी से 21 मार्च को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
नित्यभूषण दे ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को कुचलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने का हरसंभव प्रयास किया था, लेकिन जनता के आक्रोश के आगे वह टिक नहीं सकी। इस संघर्ष में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लोकतंत्र प्रेमी नागरिकों को संगठित कर आरएसएस ने देशव्यापी आंदोलन छेड़ दिया, जिसने इंदिरा सरकार की तानाशाही नीतियों को पूरी तरह विफल कर दिया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष कनक कुमार नाथ ने भी इस ऐतिहासिक संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि उस समय लोकतंत्र की रक्षा के लिए आंदोलन नहीं किया जाता, तो आज भारत की राजनीति एक अलग दिशा में होती।
इस अवसर पर संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा में शहीद हुए संघर्ष सेनानियों को श्रद्धांजलि दी और जनतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के संकल्प को दोहराया।