मास्को। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के मॉस्को में भारतीय समुदाय को संबोधित किया है. इस दौरान उन्होंने भारतीय समुदाय के प्रेम, स्नेह के लिए आभार जताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं अकेला नहीं आया हूं, मैं अपने साथ बहुत कुछ लेकर आया हूं. मैं अपने साथ हिंदुस्तान की मिट्टी की महक और 140 करोड़ देशवासियों का प्यार लेकर आया हूं. ये बहुत सुखद है कि तीसरी बार सरकार में आने के बाद भारतीय समुदाय से मेरा पहला संवाद यहां मॉस्को में आपके साथ हो रहा है. आज 9 जुलाई है, आज के ही दिन मुझे शपथ लिए पूरा एक महीना हुआ है. आज से ठीक 1 महीने पहले मैंने भारत के पीएम पद की शपथ ली थी. उसी दिन मैंने एक प्रण लिया था कि अपने तीसरे टर्म में मैं तीन गुनी ताकत से काम करूंगा, तीन गुनी रफ्तार से काम करूंगा.
उन्होंने कहा कि आप सब जानते हैं कि आज का भारत जो लक्ष्य ठान लेता है, वो पूरा करके ही रहता है. आज भारत वो देश है, जो चंद्रयान को चंद्रमा पर वहां पहुंचाता है, जहां दुनिया का कोई देश नहीं पहुंच सका. भारत डिजिटल ट्रांजेक्शन का सबसे रिलायबल मॉडल दुनिया को दे रहा है. पिछले 10 वर्षों में देश ने विकास की जो रफ्तार पकड़ी है, उसे देखकर दुनिया हैरान है. दुनिया के लोग जब भारत आते हैं, तो कहते हैं कि ‘भारत बदल रहा है.’ भारत का कायाकल्प, भारत का नव-निर्माण वो साफ-साफ देख पा रहे हैं. भारत बदल रहा है क्योंकि देश अपने 140 करोड़ नागरिकों के सामर्थ्य पर भरोसा करता है. 140 करोड़ भारतीय अब विकसित देश बनने का सपना देख रहे हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि आज 140 करोड़ भारतीय हर क्षेत्र में सबसे आगे निकलने की तैयारी में जुटे रहते हैं. आप सभी ने देखा है, हम अपनी अर्थव्यवस्था को सिर्फ कोविड संकट से ही बाहर निकालकर ही नहीं लाए, बल्कि भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे मजबूत इकोनॉमी में से एक बना दिया. उन्होंने कहा कि चुनौती को चुनौती देना मेरे DNA में है.
उन्होंने कहा कि भारत में बदलाव सिर्फ सिस्टम और इंफ्रास्ट्रक्चर का ही नहीं है, बल्कि ये बदलाव देश के हर नागरिक के, हर नौजवान के आत्मविश्वास में भी दिख रहा है. 2014 से पहले हम निराशा की गर्त में डूब चुके थे, लेकिन आज देश आत्मविश्वास से भरा हुआ है. आपने भी हाल ही में T20 वर्ल्ड कप में भारत की विजय को सेलिब्रेट किया होगा. वर्ल्ड कप को जीतने की असली स्टोरी, जीत की यात्रा भी है. आज का युवा और आज का युवा भारत आखिरी बॉल और आखिरी पल तक हार नहीं मानता है. विजय उन्हीं के चरण चूमती है, जो हार मानने को तैयार नहीं होते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘रूस शब्द सुनते ही हर भारतीय के मन में पहला शब्द आता है… भारत के सुख-दुख का साथी, भारत का भरोसेमंद दोस्त. रूस में सर्दी के मौसम में टेंपरेचर कितना ही माइनस में नीचे क्यों न चला जाए… भारत-रूस की दोस्ती हमेशा प्लस में रही है, गर्मजोशी भरी रही है. ये रिश्ता म्यूच्यूअल ट्रस्ट और म्यूच्यूअल रिस्पेक्ट की मजबूत नींव पर बना है.’
उन्होंने कहा कि भारत-रूस की दोस्ती के लिए मैं विशेष रूप से अपने मित्र पुतिन की लीडरशिप की भी सराहना करूंगा. उन्होंने दो दशक से ज्यादा समय तक इस पार्टनरशिप को मजबूती देने के लिए शानदार काम किया है. बीते 10 सालों में मैं छठी बार रूस आया हूं और इन सालों में हम एक-दूसरे से 17 बार मिले हैं. ये सारी मीटिंग ट्रस्ट और रिस्पेक्ट बढ़ाने वाली रही हैं. जब हमारे छात्र संघर्ष के बीच फंसे थे, तो राष्ट्रपति पुतिन ने उन्हें वापस भारत पहुंचाने में हमारी मदद की थी. मैं रूस के लोगों का, मेरे मित्र पुतिन का इसके लिए भी फिर से आभार व्यक्त करता हूं.