पाथरकांदी स्थित इचाबिल चाय बागान के निजीकरण की संभावनाओं को लेकर श्रमिकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर बागान के मजदूरों ने शनिवार को एकजुट होकर अपने बकाया और अन्य देय राशि की मांग को लेकर विरोध जताया। श्रमिकों का कहना है कि सरकार और संबंधित विभागों को उनके लंबित वेतन और अन्य लाभों का निपटारा कर ही बागान का हस्तांतरण करना चाहिए।
शनिवार को इचाबिल मजदूर संघ कार्यालय के सामने बागान पंचायत के प्रतिनिधियों और सैकड़ों श्रमिकों ने विरोध प्रदर्शन किया। बागान पंचायत के अध्यक्ष राजू कुर्मी ने बताया कि उन्हें सूचना मिली है कि बागान को राज्य सरकार के अधीन असम टी कॉर्पोरेशन (ATC) से निकालकर निजी स्वामित्व में दिया जा सकता है। उन्होंने मांग की कि बकाया मजदूरी, राशन आपूर्ति और श्रमिक आवास के आवंटन को प्राथमिकता दी जाए।
श्रमिकों की प्रमुख मांगें:
- बकाया वेतन एवं अन्य देय भुगतान तुरंत किया जाए।
- नए स्वामी को पूर्व ATC कंपनी के श्रम नियमों के तहत बागान का संचालन करना होगा।
- सेवानिवृत्त श्रमिकों के स्थान पर उनके परिवार के सदस्यों को रोजगार दिया जाए।
- सरकारी घोषणा के अनुसार, श्रमिकों की दैनिक मजदूरी ₹228 सुनिश्चित की जाए।
बागान पंचायत के उपाध्यक्ष राजू बरई और संयुक्त सचिव उत्तम रविदास ने बताया कि श्रमिकों को बागान प्रबंधन के माध्यम से सूचना मिली कि इचाबिल चाय बागान का निजीकरण किया जा सकता है। उन्होंने इस फैसले को लेकर सरकार से स्पष्टता की मांग की।
गौरतलब है कि इचाबिल चाय बागान की फैक्ट्री लंबे समय से बंद पड़ी है, लेकिन श्रमिकों ने कड़ी मेहनत कर बागान को चालू रखा। संकट के समय जब बागान मुश्किल में था, श्रमिकों ने एकजुटता दिखाते हुए इसे बचाए रखा। लेकिन अब, जब इसका निजीकरण किया जा रहा है, तो उनके भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं।
श्रमिकों ने राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा, जिला प्रशासन, केंद्रीय मंत्री कृष्णेंदु पाल और अन्य जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे श्रमिकों के हितों की रक्षा करें और बगैर परामर्श के कोई भी निर्णय न लें।
इस विरोध प्रदर्शन में बागान पंचायत के महासचिव राजू नुनिया, जलाल उद्दीन, सुजीत नुनिया, उत्तम पाशी, किशोर बख्ती, राजकुमार नुनिया, लक्ष्मी मोरा, मणि ततवां, अमीरुन बीबी समेत कई श्रमिक नेता और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।
– प्रेरणा भारती दैनिक




















