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इजरायल को आत्म रक्षा करने का पूरा अधिकार 

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दुनिया में कोई भी सभ्य इंसान कभी भी दूसरे का मौत का जश्न नहीं मना सकता और न ही किसी की मौत का जस्टिफाई कर सकता है।गाजा और इजरायल में जितनी भी मौतें हुई हैं या हो रही हैं,ये मौत किसी भी इंसान की नहीं बल्कि पूरी मानवता की मौत है। किसी का भी मौत जश्न का विषय नहीं होनी चाहिए।जैसा कि 7 अक्टूबर के दिन हमास द्वारा किया गया और हमास के हमदर्द मासूम इजरायलियों के मौत पर जश्न मनाने लगे। मगर कहते हैं न जब आप एक उंगली दूसरों की तरफ उठाते हैं तब बाकी चार उंगलियां खुद आपकी तरफ इशारा कर रही होती हैं। जिन लोगों को फिलिस्तीन के लोगों को उनके घर से भी बेघर करने का दुख हो रहा है ये लोग कश्मीरी पंडितों पर कभी भी कुछ क्यों नहीं बोलते? अगर आज इजराइल फिलिस्तीन का असली घर है तो ऋषि कश्यप की भूमि कश्मीरी पंडितों का असली घर क्यों नहीं ? भारत के कुछ लोग अपने देश के कश्मीरी पंडितों का असली दर्द नहीं देखते हैं, लेकिन फिलिस्तीन के लिए आंसू जरुर बहाते हैं। 7 अक्टूबर को हमास ने अचानक से हमला करके 1400 सौ से ज्यादा मासूम इजरायलियों की जान ले ली। वहीं 200 से ज्यादा लोगों को अगवा कर लिया। सैकड़ो घरों में आग लगा दी। औरतों के साथ गलत काम किया है। जैसे ही यह खबर सामने आई पूरी दुनिया में हमास के हमदर्दों ने इसका जश्न मनाया। मिडल ईस्ट से लेकर यूरोप अमेरिका से लेकर भारत में भी कुछ खास वर्ग के लोगों ने जश्न मनाया। कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि हमास को इजराइल में और हिंसा करनी चाहिए। मगर जिसका डर था, ठीक वही हुआ। इजराइल के हमने से हर दिन 300 सौ से 400 सौ से ज्यादा  फिलिस्तीनी लोग मारे जा रहे हैं।गुस्साए इजरायल ने 3 हफ्तों में गाजा का बाजा बजा कर रख दिया है। कल तक इजरायल के लोगों का मौत का जश्न मनाने वाले आज इजरायल के बदले पर मातम मना रहे हैं। आज गाजा में जो कुछ भी हो रहा है जितनी भी मौतें गाजा में हो रही है उसके लिए इसराइल नहीं बल्कि हमास खुद जिम्मेदार है।हमास के बदले की कार्रवाई में इजराइल लगातार गाजा पट्टी पर बम बरसा रहा है।अब तक 8000 फिलिस्तीन अब तक मारे जा चुके हैं। मरने वालों में बड़ी संख्या छोटे-छोटे मौसमों की है ये वह मासूम  बच्चे हैं जिनमें कोई पॉलीटिकल आईडियोलॉजी नहीं थी और न ही इन्हें हमास और इजरायल से कोई लेनादेना है। इस लड़ाई में सबसे ज्यादा शिकार यही मासूम बच्चे हुए हैं। हमास से हमदर्दी रखने वाले इसका जिम्मेदारी इसराइल को बता रहे हैं। लेकिन सच तो यह है कि मासूम बच्चे और लोगों का मौत के असली जिम्मेदार  इसराइल नहीं बल्कि हमास है।अगर यह हमला इजरायली फौजी और  पुलिस पर होता तो बात समझ में आती। किसी भी आजादी की लड़ाई में दोनों तरफ के लोग आम लोगों को टारगेट नहीं करते। मगर हमास ऐसा कर रहा है और अपने लिए सबसे सरल टारगेट को चुन रहा है। जिससे इजरायल को बड़ी क्षति पहुंचाया जा सके।हमास को इजरायल से पंगा लेने से पहले यह स्पष्ट स्टडी कर लेना चाहिए था कि इजरायल से पंगा बहुत भारी पड़ सकता है।अगर हमास हमले के बाद अपने लोगों को बचा पाता तो भी उसका यह हमला समझ में आता। लेकिन इसराइल को सिर्फ नुकसान पहुंचाना ही एकमात्र उद्देश्य है।अब वही उल्टा पड़ रहा है। सबसे ज्यादा नुकसान हमास और फिलीस्तीन की जनता को उठानी पड़ रही है। पानी,बिजली सब इजरायल से मिलता है।यहाँ तक अरब देश भी फिलिस्तीन की मदद नहीं करते। मिस्र के सीमा से गाजा लगता है। आम लोगों को घुसने नहीं दिया जा रहा है। इतनी सी छोटी सी जमीन पर इतने लोग रहते हैं। इसके बावजूद भी इसराइल को चोटिल करने का प्रयास सबसे बड़ी मूर्खता और खुद पर मुसीबत को निमंत्रण देना है।कुछ लोग कहते हैं कि अगर इसराइल हमले रोक दे तो शांति स्थापित हो सकती है। लेकिन हमास के चार्टर में साफ लिखा है कि इसराइल से किसी भी तरह का बातचीत करना अपना समय बर्बाद करना है। जब अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा किया था तब भारत ने भी लड़ाई लड़ी थी। मगर गांधी जी को यह पता था कि अगर हमने हथियार और हिंसा का रास्ता चुना तो अंग्रेजों को कत्लेआम करने का छूट मिल जाएगी।इसलिए गांधी ने अहिंसा को अपना हथियार बनाया, लेकिन हमासी आतंकवादी यह नॉन वायलेंस की बात कभी भी समझ में नहीं आएगी। उन्हें हमेशा यह गलतफहमी रहती है कि वे लड़कर अपना हक पा लेंगे। इसलिए आज तक वह इस लड़ाई में कामयाब नहीं हो पाए हैं और जो जमीन उनके पास थी उससे भी वह हाथ धो बैठे हैं।
                      ———समराज चौहान।
                          कार्बी आंग्लांग,असम
               युवा लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार

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