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शिलचर 17 अगस्त: 16 अगस्त की रात्रि 9:15 पर उधारबंद निवासी प्रतिष्ठित समाजसेवी संतोष कुमार दे का स्वर्गवास हो गया। वे पिछले डेढ़-2 महीने से बीमार चल रहे थे। उनके निधन के समाचार से उधारबंद और आसपास के आंचल में शोक छा गया। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक, विश्व हिंदू परिषद, एकल विद्यालय, रामकृष्ण मिशन उधारबंद सहित कई संस्थानों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे। 82 वर्षीय संतोष कुमार दे काचाकांती मंदिर सेवा समिति के पूर्व सभापति तथा उधारबंद, काछाड़ के प्रतिष्ठित समाजसेवी थे। कलयुग में सतयुगी व्यक्तित्व, धार्मिक, सामाजिक, परोपकारी, विनम्र, सदा हंसमुख स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके चाहने वालों का कहना था कि उनका चले जाना हम सभी के लिए अपुरणीय क्षति है। परमपिता परमेश्वर उन्हें मोक्ष प्रदान करें। कोटि-कोटि नमन, अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

उन्होंने काचाकांती मंदिर सेवा समिति का पिछले 4 फरवरी को सभापति का दायित्व शारीरिक अक्षमता के चलते छोड़ दिया। पिछले लोकसभा चुनाव में 26 अप्रैल को उन्होंने मतदान भी किया था। 2002 में टाटा इंस्टीट्यूट मुंबई में कैंसर को पराजित करके 22 वर्ष सक्रिय जीवन जिए। मत्स्य विभाग में हेड क्लर्क से रिटायर्ड थे। वे अपने पीछे धर्मपत्नी श्रीमती गौरी दे, पुत्र सुदीप, पुत्रवधू अनिस्मिता, एक पौत्र, विवाहिता कन्या शिवानी, भाई भवतोष, विजय व विवाहिता बहन नमिता सहित भरा-पुरा परिवार छोड़ गए हैं। उधारबंद श्मशान में उनकी चिता को आज उनके पुत्र संदीप ने मुखाग्नि दी, उनका शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। उनके श्राद्ध आदि अंतिम संस्कार उधारबंद स्थित निवास से किए जाएंगे। उनकी अंतिम यात्रा में परिजनों के अलावा उधारबंद के विशिष्ठ व्यक्तित्व क्षौणिश चक्रवर्ती, अंशुमान दत्त, पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप कुमार, जौहर दे सहित अनेकों लोग उपस्थित थे।





















