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विश्वास राणा “GYPSY”
सैकड़ों बेमतलबी बवाल, हजारों
अटपटे मलाल, लाखों बेतुके सवाल
एक जवाब- खामोशी
दिन रात के अनचाहे झमेले, अनगिनत
सरों के झुंड वाले मेले,
साजिशों से भरे गैर ज़रूरी खेले
एक जवाब खामोशी ।
बेहिसाब शोरगुल वाले दिनों के ताते,
बेअदब महाफिलों वाली रातें,
और वो ही बे वजनी खोखली बातें,
एक जवाब खामोशी ।
आंसू बिन खारे स्वाद के बरसते,
बिना जज्यात वाले लोगों के खुश्क रिश्मे,
सिर्फ दिखावे के लोगों के दस्ते,
एक जवाब खामोशी ।
हरेक दिन हर एक बात की सफाई
थक के चूर हो चुकी निभाई,
गर मेरा कहा अनकहा ना दे सुनाई
एक जवाब खामोशी।