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एक नजर में असम के नये मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा

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गुवाहाटी, 09 मई (हि.स.)। डॉ. हिमंत विश्वशर्मा का नाम असम के प्रमुख नेताओं में शुमार है। वह कांग्रेस छोड़कर 23 अगस्त, 2015 को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए थे। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने से पहले वह कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जालुकबारी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। डॉ. विश्वशर्मा ने 2016 का विधानसभा चुनाव जीता और 24 मई, 2016 को सोनोवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। भाजपा नेतृत्व ने उन्हें पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (नेडा) का संयोजक नियुक्त किया जिसका मुख्य उद्देश्य पूर्वोत्तर का चहुंमुखी विकास और राज्यों एवं केंद्र के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है।

डॉ. विश्वशर्मा का जन्म 01 फरवरी, 1969 को गुवाहाटी के उलुबारी स्थित गांधी बस्ती में कैलाशनाथ शर्मा और मृणालिनी देवी के यहां हुआ था। डॉ. विश्वशर्मा ने 1985 में गुवाहाटी के कामरूप एकेडमी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज में दाखिला लिया। वे 1991 से 1992 तक कॉटन कॉलेज स्टूडेंट यूनियन के महासचिव रहे। उन्होंने गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में 1990 में ग्रेजुएशन और 1992 में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। डॉ. विश्वशर्मा ने गुवाहाटी के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से एलएलबी किया और गौहाटी यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि हासिल की। वह 1996 से 2001 तक गौहाटी हाईकोर्ट में बतौर अधिवक्ता प्रैक्टिस करते रहे। उन्होंने 07 जून 2001 को रिंकी भुइयां शर्मा से शादी की। उनका एक पुत्र नंदिल विश्वशर्मा और एक बेटी सुकन्या शर्मा हैं।

राजनीतिक सफर

डॉ. विश्वशर्मा 2001 में पहली बार जालुकबारी विधानसभा क्षेत्र से चुने गए। उन्होंने असम गण परिषद के तत्कालीन कद्दावर नेता भृगु कुमार फुकन को हराया था। इसके बाद 2006 और 2011 में लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए चुने गये। डॉ. विश्वशर्मा तत्कालीन कांग्रेसी सत्ता के दौरान 2002 से 2014 तक कृषि, योजना एवं विकास, वित्त, स्वास्थ्य, शिक्षा और असम समझौते के कार्यान्वयन राज्य मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण विभागों का प्रभार संभाला। वह कुछ समय इन विभागों के कैबिनेट मंत्री भी रहे। वर्ष 2016 में सर्वानंद सोनोवाल के नेतृत्ववाली भाजपा सरकार में उनके पास महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी रही है।

उन्हें 2006 में कैबिनेट मंत्री बनाया गया और 2011 में उन्हें शिक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया। उनके कार्यकाल में जोरहाट, बरपेटा और तेजपुर में तीन मेडिकल कॉलेज स्थापित किये गये। उन्होंने भाजपा सरकार में मंत्री रहते हुए डिफू, नगांव, धुबरी, उत्तर लखीमपुर एवं कोकराझार में पांच और मेडिकल कॉलेजों के लिए भी काम शुरू किया, जो अब क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। यहां तक कि भारत सरकार ने अपनी विभिन्न वार्षिक रिपोर्टों में भी असम के स्वास्थ्य और शिक्षा विभागों की उपलब्धियों का उल्लेख किया है। उनके कार्यकाल में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) के माध्यम से पहली बार 50,000 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी, जिसके बाद उन्होंने साक्षात्कार की व्यवस्था समाप्त कर दी थी।

डॉ. विश्वशर्मा 23 अगस्त, 2015 को नई दिल्ली स्थित अमित शाह के आवास पर भाजपा में शामिल हुए थे। उन्हें राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता और पूर्वोत्तर भारत में पहली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। इससे पहले डॉ. विश्वशर्मा कांग्रेस के विधायक के रूप में तीन कार्यकाल तक काम कर चुके थे। वह जालुकबारी निर्वाचन क्षेत्र से 2001, 2006 और 2011 में लगातार चुने गए थे। पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के साथ राजनीतिक मतभेद के कारण डॉ. विश्वशर्मा ने 21 जुलाई, 2014 को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 15 सितम्बर, 2015 को विधानसभा की सदस्यता भी छोड़ दी थी। मई 2016 में डॉ. विश्वशर्मा लगातार चौथे कार्यकाल के लिए जालुकबारी निर्वाचन क्षेत्र से जीते और 24 मई को सोनोवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। उन्हें वित्त, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, शिक्षा, योजना एवं विकास, पर्यटन, पेंशन और सार्वजनिक शिकायतों जैसे विभागों की जिम्मेदारी दी गई।

विवादों से भी रहा नाता

नवम्बर, 2020 में डॉ. विश्वशर्मा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया था कि एआईयूडीएफ के राजनेता बदरुद्दीन अजमल के समर्थकों ने सिलचर हवाई अड्डे पर पहुंचने पर उनके स्वागत के लिए पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए थे। उनके इस दावे को विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी पत्नी द्वारा संचालित न्यूज चैनल ने दोहराया। उसके बाद कुछ राष्ट्रीय न्यूज चैनलों ने भी इसको प्रसारित किया। डॉ. विश्वशर्मा की पोस्ट को फेसबुक ने गलत सूचना के रूप में रोक लगा दी। स्वतंत्र तीसरे पक्ष ने वीडियो की जांच की जिसमें पता चला कि लगाए गए नारों में राजनेताओं का नाम था, पाकिस्तान का नाम नहीं था। गुवाहाटी पुलिस ने डॉ. विश्वशर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। इसके अलावा भी उनके विरुद्ध कई फैसलों, योजनाओं में भ्रष्टाचार करने समेत विभिन्न तरह के आरोप लगते रहे। हालांकि, एक भी आरोप अभी तक साबित नहीं हो पाये हैं।

खेल प्रशासक

डॉ. विश्वशर्मा को 23 अप्रैल, 2017 सर्वसम्मति से भारतीय बैडमिंटन संघ का अध्यक्ष चुना गया। डॉ. विश्वशर्मा असम बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह जून 2016 में असम क्रिकेट एसोसिएशन (एसीए) के अध्यक्ष बने। वह 2002 से 2016 तक एसीए के उपाध्यक्ष भी रहे।

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