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एक प्रेरक व्यक्तित्व: राम सुदिष्ट ओझा – दिलीप कुमार 

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एक प्रेरक व्यक्तित्व: राम सुदिष्ट ओझा – दिलीप कुमार 

कभी-कभी साधारण से दिखने वाले लोग असाधारण कार्यों के जरिए समाज में प्रेरणा का स्रोत बन जाते हैं। गुवाहाटी के फैंसी बाजार के रहने वाले 58 वर्षीय राम सुदिष्ट ओझा जी भी ऐसे ही व्यक्तित्व हैं। मूलतः बिहार के मोतीहारी जिले के भवानीपुर गांव के निवासी ओझा जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के समर्पित स्वयंसेवक और एक जिम्मेदार सामाजिक कार्यकर्ता हैं।

गुवाहाटी का सफर और व्यवसाय

साल 1984 में, मात्र 18 वर्ष की उम्र में, बेहतर अवसरों की तलाश में ओझा जी गुवाहाटी आए। यहां उन्होंने शुरू में 12 वर्षों तक गुवाहाटी प्रभात इंडस्ट्री में कार्य किया। इसके बाद 8 साल तक मनिहारी का व्यवसाय किया। 1995 में विवाह के बाद, उन्होंने बच्चों के खिलौनों के थोक व्यापार में कदम रखा और आज यह उनका स्थायी व्यवसाय बन चुका है। अपने व्यवसाय की आय से उन्होंने अपनी बेटी को बायोटेक्नोलॉजी में एमएससी करवाया और उसकी शादी की। बेटा इस समय कानून की पढ़ाई कर रहा है और व्यवसाय में उनकी मदद करता है।

संघ से जुड़ाव और सेवा भावना

ओझा जी 2012 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और तब से नियमित रूप से शाखा, बैठकों और संघ के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। उमानंद शाखा के मुख्य शिक्षक के रूप में, उनकी भूमिका न केवल शाखा को व्यवस्थित करना है, बल्कि अपने अनुशासन और समर्पण से अन्य स्वयंसेवकों को प्रेरित करना भी है।

उनकी सुबह शाखा के लिए संघ स्थान की साफ-सफाई और तैयारी से शुरू होती है। यह उनकी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। उनका मानना है कि समाज सेवा जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। वह चाहते हैं कि जब उनका बेटा पूरी तरह से व्यवसाय संभाल ले, तो वे अपना समय समाज और देश की सेवा में पूर्ण रूप से समर्पित कर सकें।

सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता

सामाजिक और धार्मिक अनुष्ठानों में सक्रिय भागीदारी के साथ, ओझा जी समाज के ज्वलंत मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाते हैं। उन्हें इस बात का गहरा दुख है कि देश में गौ रक्षा की चर्चा तो होती है, लेकिन नंदी (गाय के बछड़े) के संरक्षण की कोई ठोस नीति नहीं है।
वे कहते हैं, “एक समय था जब खेती में बैल का उपयोग होता था, तब नंदी की उपयोगिता थी। अब आधुनिक कृषि उपकरणों ने बैलों की जगह ले ली है, जिससे नंदी को या तो आवारा छोड़ दिया जाता है या गोवध का शिकार होना पड़ता है।”
वे सरकार से अपील करते हैं कि नंदी के संरक्षण के लिए विशेष नीति बनाई जाए और गोपालकों को प्रोत्साहन दिया जाए।

भविष्य की योजनाएं

ओझा जी का सपना है कि बेटे की शादी के बाद, वे स्वयं को समाज सेवा के लिए पूर्णतः समर्पित कर दें। उनकी सोच है कि जीवन का उद्देश्य केवल अपने परिवार तक सीमित नहीं होना चाहिए। उनके अनुसार, समाज और राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को समझना और उन्हें निभाना हर नागरिक का कर्तव्य है।

प्रेरणा का स्रोत

राम सुदिष्ट ओझा जी जैसे व्यक्तित्व न केवल समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं, बल्कि अपने कार्यों से दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं। उनकी निष्ठा, समर्पण और समाज के प्रति उनका दृष्टिकोण, हमें यह सिखाता है कि छोटी-छोटी जिम्मेदारियों को निभाकर भी बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है।
गुवाहाटी की उमानंद शाखा में उनके द्वारा किए जा रहे कार्य, उनकी विनम्रता और समर्पण, उन्हें एक आदर्श स्वयंसेवक और प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में स्थापित करते हैं।

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