25-30 वर्षों से एनआईटी में काम कर रहे, मास्टर रोल कर्मचारियों द्वारा पिछले 3 दिन से एनआईटी में धरना-प्रदर्शन चल रहा है। एनआईटी वर्कर्स यूनियन की मांग है कि पहले उन्हें रेगुलर किया जाए, इसके बाद नई नियुक्तियां दी जाए। उनका कहना है कि उच्च न्यायालय से इस बारे में उनके पक्ष में आदेश भी आया। 1993 में मास्टर रोल कर्मचारियों की एक लिस्ट बनाइ गई, जिसमें 125 लोगों का नाम था। सब को रेगुलर करने का वादा किया गया, जिसमें से 22 लोगों को रेगुलर किया गया। कितने ही रिटायर हो गए, बाकी लोगों को अब तक रेगुलर नहीं किया गया। पहले कक्षा 8 पास तक को रेगुलर करने की बात बोले थे, अब बोलते हैं कि हायर सेकेंडरी पास होना चाहिए। यह नहीं चलेगा, वर्तमान निदेशक ने हमें आश्वासन दिया था कि टेंपरेरी स्टेटस दिया जाएगा। इसलिए हम लोगों ने टीचिंग स्टाफ के नियुक्ति में और अन्य नियुक्तियों में कोई बाधा नहीं दिया। जब तक मास्टर रोल कर्मियों को रेगुलराईज नहीं किया जाता है, तब तक नान टीचिंग स्टाफ नियुक्ति प्रक्रिया स्थगित रखी जाए वरना हम लोगों का आंदोलन जारी रहेगा।
अभी तक हम लोगों ने एनआईटी के काम में कोई बाधा नहीं दिया है, कल से हम लोग पूरे परिवार के साथ आंदोलन में उतरेंगे। हमारी बात नहीं मानने पर हम एन आई टी में सारा काम बंद कर देंगे। एनआईटी वर्कर यूनियन के सचिव चंपालाल गोड़ ने कहा कि धरना में बैठने से पहले उन्होंने सभी संबंधित पक्षों को पत्र देकर सूचित कर दिया है। अब निर्णय एनआईटी के निदेशक को लेना है।
इस बारे में एनआईटी के निदेशक डॉ शिवाजी बंधोपाध्याय का कहना है कि सरकारी गाइडलाइन है कम से कम हायर सेकेंडरी पास लोगों को ही नियुक्ति दी जा सकती है, उसके लिए भी उन्हें परीक्षा में बैठना पड़ेगा। मास्टर रोल कर्मियों के प्रति हमारी पूरी सहानुभूति है, अनुभवी लोगों को हम भी वरियता देना चाहते हैं किंतु हमारे हाथ नियम से बंधे हुए हैं। एनआईटी में बहुत दिनों से नियुक्ति नहीं होने के कारण काम में समस्याएं आ रही हैं। धरना स्थल पर जाकर एनआईटी के निदेशक और कुलसचिव ने उन्हें समझाने का प्रयास किया किंतु आंदोलनकारी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।