शिलचर, 09 अक्टूबर:
एनआईटी शिलचर में एक पुराने मामले की गूंज एक बार फिर सुनाई दे रही है। काछार पुलिस की एक टीम ने बुधवार को (8 अक्टूबर) संस्थान का दौरा किया। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या कुछ प्रभावशाली प्रोफेसरों और बांग्लादेशी छात्रों के बीच कोई संदिग्ध संबंध रहे हैं।
यह मामला मोहम्मद मिराजुल इस्लाम सयेम नामक पूर्व छात्र से जुड़ा है, जो कथित रूप से लंबे समय तक एनआईटी शिलचर परिसर में एक नेटवर्क चलाता रहा। सूत्रों के अनुसार, केस डायरी में एक तस्वीर भी शामिल है जिसमें एक प्रोफेसर को सयेम से नकदी से भरा लिफाफा प्राप्त करते हुए दिखाया गया है।
यह मामला सबसे पहले बराक बुलेटिन ने 14 अक्टूबर 2023 को उजागर किया था और 16 अक्टूबर 2023 को इसका फॉलो-अप प्रकाशित किया गया था।
पुलिस की नई जांच टीम सक्रिय
हालाँकि सयेम अब संस्थान से निकल चुका हैं, काछार पुलिस अब इस मामले में प्रोफेसरों, गैर-शिक्षण कर्मचारियों और शोधार्थियों की भूमिका की पड़ताल कर रही है।
काछार के एसएसपी नुमल महत्ता ने बराक बुलेटिन से पुष्टि की कि जांच जारी है और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के नेतृत्व में एक टीम एनआईटी शिलचर पहुंची थी।
हालांकि, उन्होंने मामले से संबंधित अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि एसएसपी महत्ता प्रारंभिक जांच रिपोर्ट से असंतुष्ट थे और उन्होंने टीम को मामले को फिर से खोलने और नई जांच शुरू करने के निर्देश दिए।
सीएमओ तक पहुँचा मामला
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) को भी एक शिकायत भेजी गई है, जिसमें संस्थान के बाहर डीन और एक छात्र से संबंधित कथित घटना की तस्वीर शामिल थी। शिकायत के बाद, संबंधित प्रोफेसर को एसपी कार्यालय में तलब किया गया है।
इसी बीच, यह भी अफवाह फैल रही है कि हाल ही में पाँच छात्रों को असामाजिक गतिविधियों जैसे मारपीट, हत्या के प्रयास और गांजा रखने व ले जाने के आरोपों में निलंबित कर देश से निष्कासित किया गया है।
बताया जा रहा है कि इन पाँच में से एक छात्र बांग्लादेश के एक प्रभावशाली परिवार से संबंध रखता है। सूत्रों का दावा है कि इन्हीं छात्रों में से एक ने सीएमओ को उक्त तस्वीर भेजी और सवाल उठाया कि मिराजुल के मामले में नरमी और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई क्यों की गई।
छात्रों की शिकायतें और गंभीर आरोप
बराक बुलेटिन की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला तब सामने आया जब 45 छात्रों ने मिराजुल सयेम के खिलाफ औपचारिक शिकायतें दर्ज कराईं।
कई छात्रों ने बयान दिया कि सयेम उन्हें धमकाता था कि वह डीन के करीबी हैं और परीक्षा में अंकों का निर्धारण वही करवा सकते हैं।
एक छात्र ने तो यहाँ तक कहा कि “वह मुझे अपमानजनक कृत्य करने के लिए मजबूर करता था और कहता था कि अगर मैंने उसकी बात नहीं मानी, तो मुझे परीक्षा में फेल करवा देगा।”
इन्हीं बयानों को एनआईटी की आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट में भी शामिल किया गया था।
डीन पर लगाए गए आरोप और बचाव
डीन पर आरोप है कि उन्होंने कुछ शोधार्थियों को परीक्षा प्रश्नपत्र साझा किए थे। उनमें से एक शोधार्थी मिराजुल का नज़दीकी था, जो बांग्लादेशी छात्रों पर धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने का दबाव डालता था।
बराक बुलेटिन को प्राप्त तस्वीरों में मिराजुल और वही शोधार्थी हाइलाकांदी में धार्मिक आयोजनों में एक साथ दिखे थे।
डीन के खिलाफ उठे सवालों पर एक और पक्ष यह भी सामने आया कि जिस तस्वीर का हवाला दिया जा रहा है, वह दरअसल फकीरटीला मस्जिद में खींची गई थी, जहाँ मिराजुल ने नव-निर्मित मस्जिद के लिए चंदा सौंपा था। उस समय डीन मस्जिद समिति के अध्यक्ष थे।
इस संदर्भ में यह भी तर्क दिया जा रहा है कि जब प्रोफेसर एनआईटी सार्वजानिन दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष के रूप में चंदा जुटा सकते हैं, तो मस्जिद समिति के अध्यक्ष के रूप में वे ऐसा क्यों नहीं कर सकते?
मामले का अगला चरण
हालाँकि मिराजुल इस्लाम सयेम अब एनआईटी शिलचर छोड़ चुका हैं, लेकिन एसएसपी नुमल महत्ता द्वारा मामले को दोबारा खोलने का निर्णय कई अनदेखे सचों को उजागर कर सकता है।
सूत्रों का कहना है कि पुलिस के पास कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य और गवाहों के बयान हैं, जो आने वाले दिनों में इस मामले की तस्वीर बदल सकते हैं।
(रिपोर्ट: बराक बुलेटिन के आधार पर संकलित)
प्रेरणा भारती दैनिक शिलचर, असम





















