मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को को 2006 के रमानारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के फर्जी एनकाउंटर केस में दोषी माना। कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है। गैंगस्टर छोटा राजन का करीबी बताकर गुप्ता के एनकाउंटर मामले में शर्मा को सत्र न्यायालय ने बरी कर दिया था। अब हाई कोर्ट ने मंगलवार को सत्र न्यायालय के फैसले पलटकर शर्मा को 18 साल बाद सलाखों के पीछे भेज दिया है। कोर्ट ने शर्मा को हत्या, अपहरण और आपराधिक साजिश के आरोप में दोषी ठहराया है। शर्मा एंटीलिया केस में भी आरोपी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इस मामले में उन्हें जमानत दी थी लेकिन हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद शर्मा फिर जेल जाएंगे।
जस्टिस रेवती मोहिते ढेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की बेंच ने शर्मा की रिहाई को गलत मानते हुए उसे रद्द कर दिया। बेंच ने कहा कि सेशन कोर्ट ने शर्मा के खिलाफ उपलब्ध पर्याप्त और ढेरों सबूतों की अनदेखी की है। सबूतों की लंबी कड़ी प्रकरण में शर्मा की संलिप्तात को पूरी तरह से साबित करती है। बेंच ने मुंबई पुलिस के चर्चित अधिकारी रहे शर्मा को तीन हफ्ते के अंदर सत्र न्यायालय के सामने सरेंडर करने का निर्देश दिया है। 876 पन्नों के फैसले में बेंच ने मामले में सत्र न्यायालय द्वारा मामले में 13 आरोपियों को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। वहीं दोषी ठहराए गए छह लोगों को बरी कर दिया है। हालांकि अभी भी दोषी पुलिसकर्मियों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है।2013 में निचली अदालत ने केस के 22 में से 21 आरोपियों को दोषी ठहराया था, वहीं शर्मा को सबूतों के अभाव में मामले से बरी कर दिया था। 21 में से दो आरोपियों की हिरासत के दौरान मौत हो गई थी। इसलिए उनके मामले को प्रकरण से अलग कर दिया गया था। शर्मा की रिहाई के खिलाफ राज्य सरकार और गुप्ता के भाई हाई कोर्ट में अपील की थी, जबकि दोषियों ने सजा के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 18 नवंबर 2023 को बेंच ने लंबी सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित कर लिया था।