भोपाल, 11 सितंबर: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व प्रचारकों ने रविवार को भोपाल में नए राजनीतिक दल जनहित पार्टी का गठन किया। भोपाल पहुंचे पूर्व प्रचारकों ने पांच सूत्रीय एजेंडा तय किया है। इस एजेंडे पर भी भाजपा सरकार को आगामी विधानसभा चुनाव में घरेंगे।
जनहित पार्टी गठित करने वालों में से एक अभय जैन ने बताया कि रविवार को सुबह 10 बजे से 6 बजे तक आगामी रणनीति को लेकर मंथन किया गया। इसमें रीवा, भिंड और मालवा के सदस्य शामिल हुए। इसके अलावा झारखंड से भी कुछ लोग आए थे। उन्होंने बताया कि जनता की समस्या को लेकर प्रदेश भर में आंदोलन करेंगे। इसके अलावा मौजूदा समय में नाखुश और समान विचारधारा के लोगों को नई पार्टी से जोड़ा जाएगा। उन्होंने भाजपा को चुनाव में घेरने के सवाल पर कहा कि वह किसी राजनीतिक पार्टी को टारगेट करने के बजाए जनहित के मुद्दों को ध्यान केंद्रित कर आगे बढ़ेगे।
विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी खड़े करेंगे
जैन ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में जिन विधानसभा सीट पर उनके लोग है, उनको प्रत्याशी के रूप में उतारा जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य वर्तमान राजनीति की विकृत और अवसरवादी होती संस्कृति में बदलाव लाना है। इसके अलावा सरकारी सिस्टम को सुधारना भी बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय जनता को पूछपरख की सोच को बदलने का प्रयास करेंगे। राजनीतिक पार्टियां खास तौर पर सत्ता में बैठी पार्टी चुनाव के समय जनती को सौगातें और घोषणाओं का अंबार लगा देती है। आज आम आदमी पार्टी सरकार व्यवस्था से परेशान है। इसमें सुधार लाने का प्रयास हमारी जनति पार्टी करेगी।
नेता जनता के मुद्दो को भूलें
जैन ने कहा कि देश की जनता स्वच्छ राजनीति चाहती है, लेकिन नेता आज उनके मुद्दे ही भूल गए है। उन्होंने भाजपा को ही ले लीजिए। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे महान विचारकों ने जिन विचारों से पार्टी की स्थापना की थी, वह विचार आज गायब है। हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का पालन कर एक उदाहरण पेश करेंगे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह पूर्व प्रचारक अपने संपर्कों से अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। इनका उद्देश्य जनहित के मुद्दों के साथ ही हिंदुत्व और सनातन पर चलने वाली राजनीति पार्टी का विकल्प देना है। उनका कहना है कि यदि यह जनता का विश्वास जीतने में सफल होती है तो भाजपा की प्रदेश में मुसीबत बढ़ सकती है।
शिक्षा
हर बालक देश की पूंजी है, इसे संवारें। प्रतिभा अनुसार योग्यता पाना प्रत्येक का अधिकार है। शिक्षा समाज का दायित्व है। जन्म से मानव पशुवत पैदा होता है, शिक्षा और संस्कार से वह समाज का अभिन्न घटक बनता है। जो काम समाज के अपने हित में हो उसके लिए शुल्क दिया जाए, यह तो उल्टी बात है। पेड़ लगाने और सींचने के लिए हम पेड़ से पैसा नहीं लेते क्योंकि वह हमारी जिंदगी हैं। पैसे देकर शिक्षित होने वाला बचपन से ही व्यक्तिवादी बनता है और समाज की अवहेलना करता है। भारत में 1947 से पूर्व सभी देशी राज्यों में कहीं भी शिक्षा का शुल्क नहीं लिया जाता था, उच्चतम शिक्षा तक निशुल्क थी। गुरुकुलों में तो भोजन व रहने की व्यवस्था भी होती थी।
स्वास्थ्य
जन्मा हुआ हर नागरिक देश की संपति है, इनका जीवन बचाएं। चिकित्सा के लिए पैसा देना पड़े यह अचंभे की बात है। चिकित्सा भी निशुल्क होना चाहिए हमारे यहां पहले चिकित्सा के लिए भी पैसा नहीं लिया जाता था। आजकल तो कई मंदिरों में भी जाने के लिए पैसा देना पड़ता है।
दंडनीति
कहां जाएं लोग, पुलिस या न्यायलय। 70 प्रतिशत लोग अन्याय सहन करते है, कोर्ट क्यों नहीं जाते। न्यायालय से न्याय दिलाने की पहली जिम्मेदारी पुलिस की होती है, जिसपर भरोसा नहीं है, वकील महंगे हैं तथा न्यायलय में केसों का अम्बार है। पेशी पर जाओ, तारीख बढ़ती रहती है। न तो क्षीणदंड होना चाहिए और न उग्रदण्ड होना चाहिए बल्कि मृदुदण्ड होना चाहिए। दंड से ही जनता को नियंत्रित करने से धर्म की हानि होती है।
अर्थव्यवस्था
प्रत्येक को काम अर्थव्यवस्था का सिद्धांत होना चाहिए। भुभुक्षिता किं न करोति पापम् – चाणक्य। भूखा आदमी कोई भी पाप कर सकता है। अर्थव्यवस्था में व्यक्ति।मनुष्य, श्रम और मशीन में समन्वय ही अर्थव्यवस्था का उद्देश्य है। धन के अधिकाधिक सम वितरण की आवश्यकता है। प्रत्येक को श्रम का अवसर देना सरकार का दायित्व है। आधिकाधिक उपभोग का सिद्धांत ही मनुष्य के दुखों का कारण है। भारत में न्यूनतम उपभोग को या संयमित उपभोग को आधार माना गया है। प्रत्येक को काम अर्थव्यवस्था का आधारभूत लक्ष्य होना चाहिए। आज एक ओर 10 वर्ष का बालक और 70 वर्ष का बूढ़ा काम में जुटा हुआ है और दूसरी ओर 25 वर्ष का नौजवान बेकारी से ऊबकर आत्महत्या कर रहा है। मशीन मानव का सहायक है, प्रतिस्पर्धी नहीं । यदि मशीन मानव का स्थान लेकर उसे भूखा मारे तो वह यंत्र के आविष्कार के उद्देश्य के विपरीत होगा। निर्जीव मशीन इसके लिए दोषी नहीं है, बुराई उस अर्थव्यवस्था की है। जिसमें विवेक लुप्त हो जाता है। विज्ञान एवं तकनीक का उपयोग प्रत्येक देश को अपनी परिस्थितियों और आवश्यकता के अनुसार करना चाहिए। खाली मशीन केवल पूंजी खाती है परंतु मनुष्य बेकार हो तो प्रतिदिन खाना चाहिए ही यह तो विकेंद्रित अर्थव्यवस्था से ही संभव है।
जिम्मेदार कार्यपालिका
हम सरकार तो बदल सकते है, सरकारी काम का तरीका नहीं। राजा कालस्य कारणम् यानी परिस्थिति का दोषी शासक होता है।
शांति पर्व महाभारत
जिम्मेदार कार्यपालिका सांसद या विधायिका कानून बनाती है कार्यपालिका यानी सरकार शासन तंत्र कानून नहीं बनती परंतु कानून के अनुसार देश चले यह जिम्मेदारी उसी पर होती है आज भी हम कह सकते हैं कार्यपालिका का लक्ष्य कारणम् अर्थात आज जो भी बुराइयां दिख रही हैं उसमें कार्यपालिका की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है अतः नेता को अपने आचरण का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व प्रचारक अभय जैन, मनीष काले एवं बिशाल बिंदल सहित अन्य ने मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले एक राजनीतिक दल ‘जनहित पार्टी’ गठन करने का ऐलान किया.
देश में कई राज्यों के साथ मध्य प्रदेश में भी इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. विधानसभा चुनाव के पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व स्वयंसेवकों के एक समूह ने रविवार को मध्य प्रदेश में एक राजनीतिक दल ‘जनहित पार्टी’ बनाने की घोषणा की और कहा कि यह कदम राजनीतिक दलों को शासन में सुधार करने के लिए प्रेरित करेगा. इसके साथ ही उन्होंने शिवराज सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वे बीजेपी सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस के पूर्व प्रचारक अभय जैन, मनीष काले एवं बिशाल बिंदल सहित अन्य ने मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले एक राजनीतिक दल के गठन करने का ऐलान किया. आरएसएस के पूर्व प्रचारकों ने नई पार्टी के गठन का ऐलान करते हुए कहा कि भी राजनीतिक दलों की संस्कृति लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों के खिलाफ है.
भोपाल में पूर्व स्वयंसेवकों के साथ बैठक के बाद पूर्व आरएसएस प्रचारक अभय जैन ने संवाददाताओं को बताया, हमने जनहित पार्टी का गठन किया है, क्योंकि सभी राजनीतिक दलों की संस्कृति लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों के खिलाफ है. सभी विफल हो गए हैं.”
उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी अभी तक पंजीकृत पार्टी सत्तारूढ़ बीजेपी के वोटों में सेंध लगाएगी. 2018 में पिछले मध्य प्रदेश चुनाव में वहां नहीं थे जब भाजपा हार गई थी. फिर भाजपा के वोट कांग्रेस में स्थानांतरित हो गए जो अच्छी स्थिति में नहीं है.